गुजरात के शिक्षामंत्री डॉ.कुबेर डिंडोर ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट साझा कर बताया कि स्कूलों को शैक्षणिक पर्यटन में ऐसे स्थलों को पसंद करना चाहिए, जिससे विद्यार्थियों की निरीक्षण शक्ति बढ़े, उसकी जिज्ञासा संतुष्ट हो, उसके व्यक्तित्व निर्माण में वह मददरूप हो। इसके लिए सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, धार्मिक और विकास आधारित स्थलों पर विद्यार्थियों को शैक्षणिक पर्यटन के दौरान ले जाया जाए।
स्कूल टूर को नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसमें कहा है कि स्कूलों को शैक्षणिक पर्यटन के लिए स्कूल के प्राचार्य की अध्यक्षता में एक समिति गठित करनी होगी। इसमें अभिभावक प्रतिनिधि को भी शामिल करना होगा। पर्यटन के लिए स्थल की व्यवस्था, उस के रूट, स्थल चयन में उससे जुड़े खतरे, उसके लाभ पर अभिभावकों की बैठक बुलाकर चर्चा करनी होगी। उसके बाद अभिभावक से लिखित मंजूरी लेनी होगी।
कोई अभिभावक बैठक में अनुपस्थित रहे तो विद्यार्थी के जरिए सहमति लें और माता-पिता के पहचान पत्र, मोबाइल नंबर के जरिए पुष्टि करें। विद्यार्थियों की आयु, वर्ग के हिसाब से स्थल चुनें। 15 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक टूर पर जाए। टूर पर जाना अनिवार्य न हो। छात्राओं के साथ जाने पर महिला कर्मचारी का जाना अनिवार्य है। एक टूर संयोजक नियुक्त करना होगा। मौसम के अनुरूप स्थल चुनें। उसके अनुरूप जरूरी सुरक्षा उपकरण और व्यवस्था सुनिश्चित करें।
15 दिन पहले सूचना देना अनिवार्य
स्कूलों को टूर से 15 दिन पहले राज्य के अंदर जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ), जिला प्राथमिक शिक्षा अधिकारी (डीपीईओ), मनपा क्षेत्र में शासनाधिकारी, राज्य के बाहर राज्य के स्कूल आयुक्त-निदेशक व प्राइमरी शिक्षा निदेशक को सूचना देना जरूरी है। देश के बाहर टूर पर शिक्षा विभाग को सूचना दें। आरटीओ और स्थानीय पुलिस थाने में भी 15 दिन पहले सूचना दें। वाहन के आरटीओ परमिट संख्या के तहत विद्यार्थी बिठाएं। जीपीएस वाला वाहन पसंद करें। सुरक्षा साधनों, वाहन की गति ज्यादा ना हो उसका विशेष ध्यान रखें। राज्य से बाहर ड्राइवर से लेकर स्टाफ शराब का सेवन न करे इसका ध्यान रखें।
बोटिंग, खतरनाक एडवेंचर को टालने का सुझाव
स्कूल टूर के दौरान तालाबों में बोटिंग राइड, जोखिम वाले एडवेंचर व राइड्स को टालने का सुझाव दिया है। बोटिंग करनी पड़े तो क्षमता के अनुसार, सुरक्षा उपकरण पहनकर विद्यार्थी समूह और एक शिक्षक बैठे। विद्यार्थियों को क्या करना है, क्या नहीं उसकी पूरी जानकारी दें। बच्चों, स्टाफ का सुरक्षा प्लान बनाएं।