धर्मज दिवस के आयोजक धरोहर फाउंडेशन-धर्मज के स्थापक राजेश पटेल ने बताया कि इस दिवस के आयोजन का मुख्य उद्देश्य विदेशों में बसने वाली युवा पीढ़ी में संस्कार का सिंचन करना है। फिलहाल यहां की चौथी पीढ़ी विदेशों में रह रही है। बेहतर संस्कारों के लिए यहां के बुजुर्ग लोगों ने बच्चों को जड़ों से जोडऩे को लेकर इस दिवस की आयोजन की बात सोची।इस बार की थीम भूरा रंग
छ गाम पाटीदार समाज और धरोहर फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित होने वाले इस समारोह का इस बार की थीम मेरी मिट्टी, मेरा देश के आधार पर भूरा रंग रखा गया है। इस अवसर पर धर्मज ज्योत व धर्मज ज्योति का सम्मान भी दिया जाएगा।
इस दिन का करते हैं इंतजार
परदेस में बसने वाले यहां के लोग दीपावली, क्रिसमस के बाद अपने गांव आने का इंतजार करते हैं। इस गांव के लोग व्यापार, रोजगार, आर्थिकोपार्जन, उच्च शिक्षा व वैश्विक स्तर पर करियर के लिए अन्य देशों में जा बसे हैं।
अमरीका, ब्रिटेन, अफ्रीका में ज्यादातर लोग यहां के लोग मुख्यतया ब्रिटेन के लंदन, अमरीका के न्यूजर्सी, न्यूयार्क, वाशिंगटन, कैलिफोर्निया, कनाडा के टोरेन्टो, क्यूबेक, आस्ट्रेलिया के सिडनी, ब्रिस्बेन, मेलबोर्न, न्यूजीलैण्ड के क्राइस्टचर्च, नेपियर आदि शहरों में रहते हैं। अफ्रीका के केन्या, युगांडा, दक्षिण अफ्रीका, तंजानिया सहित कई देशों में भी बसे हैं।हर तरह की सुविधाएं हैं यहां
पाटीदार बहुल इस गांव में बेहतरीन सड़कें, स्ट्रीट लाइट, अंडरग्राउंड ड्रेनेज सिस्टम की सुविधा है। यहां पर 10 से ज्यादा निजी व राष्ट्रीयकृत बैंक की शाखाएं हैं। इस गांव में किडनी केन्द्र, आंख और दांत के अस्पताल, मेटरनिटी अस्पताल, ऑर्थोपेडिक अस्पताल, ग्लुकोमा रिसर्च सेंटर, कैंसर शोध सुविधा केन्द्र भी है। इस गांव की अपनी कॉफी-टेबुल बुक और वेबसाइट भी है। साथ ही गांव की अपनी डिजीटलीकृत वंशावली है। इस गांव के लोग खुद को एनआरआई (प्रवासी भारतीय) या एनआरजी (प्रवासी गुजराती) की बजाय एनआरडी (नॉन रेसिडेंट धर्मिजन्स) कहलाना ज्यादा पसंद करते हैं।