जीडीपी का 91 फीसदी तक पहुंचा कर्ज
वित्त वर्ष 2021-22 में कोरोना के चलते केंद्र और राज्यों का कुल कर्ज सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 91 फीसदी तक पहुंच गया था, जो बीते 40 वर्षों में सबसे अधिक रहा। चालू वित्त वर्ष 2022-23 में कारोबार के चलते इसके 85-88 फीसदी रहने का अनुमान है। वेनेजुएला पर दुनिया में सबसे ज्यादा जीडीपी का 380 फीसदी कर्ज है। इसी तरह जापान पर 266 फीसदी, यूनान पर 206 फीसदी, लेबनान पर 172 फीसदी, इटली पर 156 फीसदी, सिंगापुर पर 131 फीसदी और यूएसए पर 128 फीसदी कर्ज है।
मुद्रीकरण से भरपाई की तैयारी
निजीकरण और विनिवेश के बाद केंद्र सरकार अब मोनेटाइजेशन यानि कि मुद्रीकरण (monetisation) से अर्थव्यवस्था को ऑक्सीजन देने की तैयारी में है। इसके तहत सरकार रेलवे, डिफेंस मंत्रालय, भारत अर्थ मूवर्स, एचमटी, बीएसएनएल की करीब 18 लाख एकड़ जमीन और इमारतें बेचकर 6 लाख करोड़ रुपए जुटाएगा। इसके लिए गत मार्च में बाकायदा नेशनल लैंड मोनेटाइजेशन कॉरपोरेशन नामक कंपनी भी बनाई गई, जो इन संपत्तियों को बेचने में मदद करेगी।
किस देश में प्रति व्यक्ति पर कितना कर्ज
देश प्रति व्यक्ति कर्ज (लाख रुपए)
स्वीटजरलैंड 17.98
सिंगापुर 17.32
मारीशस 11.10
नार्वे 9.77
यूके 9.५2
स्वीडन 7.08
फिनलैंड 6.56
फ्रांस 6.५4
डेनमार्क 6.42
आस्ट्रेलिया 5.39
जर्मनी 5.17
यूएसए 4.५३
भारत 0.46
स्रोत : आईडीएस 2020-21
विदेशी कर्ज का मर्ज (रुपए करोड़ में)
मनमोहन बनाम मोदी
10 लाख (2006) 33 लाख (2014)
13 लाख (2007) 36 लाख (2015)
17 लाख (2008) 36 लाख (2016)
17 लाख (2009) 35 लाख (2017)
19 लाख (2010) 40 लाख (2018)
24 लाख (2011) 41 लाख (2019)
27 लाख (2012) 42 लाख (2020)
31 लाख (2013) 46 लाख (2021)
स्रोत : केंद्रीय वित्त मंत्रालय (दिसंबर 2021 तक)
कर्ज मजबूरी नहीं जरूरत
बदले परिदृश्य में कर्ज मजबूरी नहीं जरूरत है। कारोबार शुरू करने के लिए पूंजी लगानी पड़ती है। सरकारी परियोजनाएं पूरी करने के लिए वित्तीय सहायता मजबूरी है। भारत पर कर्ज का बोझ संतुलित है, यह धीरे धीरे घट रहा है। कई विकसित देशों पर भारत से कई गुना ज्यादा कर्ज है।
– डॉ. राकेश सिंह, वरिष्ठ आर्थिक सहालकार, सप्लाई चेन, मुंबई