जोन-1 के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) हिमांशु वर्मा ने बताया कि इस मामले में पुलिस ने वस्त्रापुर थाने में कुल तीन एफआईआर दर्ज की हैं। एक एफआईआर सरकार की ओर से घटना के बाद जांच को गठित समिति के सदस्य व जिले के प्रभारी मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी डॉ.प्रकाश मेहता की शिकायत पर दर्ज की गई है। दूसरी एफआईआर एंजियोप्लास्टी के बाद दम तोड़ने वाले महेश बारोट (52) के भाई जयराम बारोट और तीसरी एफआईआर मृतक नागर सेनमा (72) के पुत्र प्रवीण सेनमा (43) ने दर्ज कराई है। तीनों एफआईआर में डॉ.प्रशांत वजीराणी, कार्तिक पटेल, संजय पटोलिया, चिराग राजपूत और राजश्री कोठारी आरोपी हैं।
डॉ.वजीराणी ने ही की थी एंजियोग्राफी व एंजियोप्लास्टी
उपायुक्त वर्मा ने बताया कि प्राथमिक जांच में सामने आया कि डॉ. वजीराणी अस्पताल में विजिटिंग डॉक्टर के रूप में कार्यरत थे। इसने ही महेसाणा जिले की कडी तहसील के बोरीसणा गांव से अस्पताल लाए गए 19 मरीजों की एंजियोग्राफी और 7 मरीजों की एंजियोप्लास्टी की थी। एंजियोप्लास्टी के बाद दो मरीज महेश बारोट व नागर सेनमा की मौत हो गई, अन्य पांच को यू एन मेहता अस्पताल में भर्ती कराया है। उन्होंने बताया कि प्राथमिक पूछताछ व जांच में सामने आया कि डॉ.वजीराणी को प्रति एंजियोग्राफी 800 रुपए और प्रति एंजियोप्लास्टी के लिए 1500 रुपए मिलते थे।
फर्जी तरीके सेे 80-90 फीसदी ब्लॉक बताकर डाल दिया स्टेंट
डीसीपी ने बताया कि सरकार की ओर से गठित चिकित्सकों की जांच समिति की रिपोर्ट में सामने आया कि जिन मरीजों की एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी की गई। उन्हें इसकी कोई जरूरत नहीं थी। इतना ही नहीं मृतक महेश बारोट की बाईं धमनी में 80 फीसदी ब्लॉकेज बताया था, एंजियोग्राफी सीडी में कोई ब्लॉकेज था ही नहीं। दाईं धमनी में 90 फीसदी ब्लॉकेज बताया था, लेकिन एंजियोग्राफी सीडी में केवल 30-40 फीसदी ही ब्लॉकेज नजर आया। इसी प्रकार से नागर सेनमा की बाईं धमनी के दो भाग में 90 प्रतिशत ब्लॉकेज बताया था। एंजियोग्राफी सीडी के वीडियो में मिड एलएडी में 80 प्रतिशत और प्रोक्सिमल एलएडी में 50 प्रतिशत ब्लॉकेज मिला। दाईं धमनी में 90 प्रतिशत ब्लॉकेज बताया था, लेकिन एंजियोग्राफी सीडी के वीडियो में ऐसा कोई ब्लॉकेज नहीं नजर आया। दोनों धमनियों में स्टेंट डाले गए थे। मरीजों की मौत के दौरान कोई कार्डियोलॉजिस्ट हाजिर नहीं था।
पीएमजेएवाई योजना का गलत लाभ लेने को डाले स्टेंट
समिति ने रिपोर्ट में दर्शाया कि हॉस्पिटल के चिकित्सक डॉ. वजीराणी, निदेशक पटेल व राजपूत, डॉ. पटोलिया, कोठारी व अन्य ने पीएमजेएवाई योजना का गलत तरीके से लाभ लेने को षडयंत्र रचते हुए मरीजों को उनकी मेडिकल रिपोर्ट की सही स्थिति न बताते हुए उन्हें गुमराह कर उनसे एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी के लिए फर्जी तरीके से सहमति ली। एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी की जरूरत न होने के बावजूद ऑपरेशन करके स्टेंट डाले। इसके फर्जी दस्तावेज बनाए और सरकार से लाभ लेने को एंजियोप्लास्टी की जिसमें दो लोगों की मौत हो गई, अन्य लोगों की भी मौत हो जाए इस प्रकार से ऑपरेशन कर शारीरिक चोट पहुंचाई।