कोरोना से पहले वापी स्टेशन पर प्रतिदिन 84 ट्रेनों का स्टोपेज था। इससे स्टेशन को रोजाना 17 लाख रुपए तक की आय होती थी। हजारों मुसाफिरों को स्टेशन पर आवागमन होता था, लेकिन कोरोना के बाद से स्टेशन की प्रतिदिन की आय महज चार से पांच लाख रुपए के बीच तक सिमट गई है। प्रतिदिन वापी स्टेशन को 13 लाख रुपए की आय गुमानी पड़ रही है।
मुंबई से सूरत के बीच के स्टेशनों में ए ग्रेड के वापी स्टेशन पर दैनिक 25 हजार से ज्यादा यात्री आते जाते थे। अब यह संया बमुश्किल एक से दो हजार के बीच रह गई है। कभी भीड़ से खचाखच भरे रहने वाले स्टेशन के प्लेटफॉर्म सूनसान हैं। आय के लिहाज से भी वापी स्टेशन को अग्रणी स्टेशन में शुमार किया जाता है। लेकिन कोरोना के बाद से ट्रेनों का स्टोपेज पहले की तुलना में आधे से भी कम हो गया है । कर्णावती, अवध, हमसफर जैसी कुछ स्पेशल ट्रेनों के अलावा कोई लोकल ट्रेन इस महत्वपूर्ण स्टेशन पर नहीं चल रही है। इस महामारी ने रेलवे सेवा पर गंभीर प्रभाव डाला है।