यह है पौराणिक कथा :
पौराणिक कथाओं के अनुसार महाभारत के युद्ध के बाद पांचों पांडवों को लगा कि उनके सिर पर कलंक है। इस कलंक को दूर करने व निवारण के लिए वह दुर्वासा ऋषि के पास गए थे। दुर्वासा ऋषि ने पांडवों की व्यथा सुनी और कहा कि यह काली ध्वजा लेकर तुम समुद्र के किनारे चलते जाओ। जब पवित्र धरती आएगी तो यह काली ध्वजा सफेद हो जाएगी, तो समझ लेना की तुम्हारा कलंक उतर गया।
इस प्रकार पांडव ध्वजा लेकर समुद्र के किनारे चलते गए थो कोलियाक गांव के निकट समुद्र के किनारे पर ध्वजा सफेद हो गई थी। ऐसे में पांडवों ने समुद्र में स्नान किया और भगवान शिव की पूजा-अर्चना की। बताया जाता है कि शिवजी ने पांडवों को दर्शन दिए थे। शिवजी से पांडवों ने विनती की कि भगवान हमें दर्शन देने का इस जगह पर प्रमाण देना पड़ेगा, ऐसे में शिवजी ने पांडवों को कहा कि तुम रेत से शिवलिंग बनाओ। इस पवित्र जगह पर तुम्हारा कलंक उतरा है, ऐसे में यह जगह निष्कलंक के रूप पहचानी जाएगी।