मनोचिकित्सकों का कहना है कि ऐसे अनेक लोग हैं, जिन्हें घरों में जकड़कर रखा जाता है, यदि उनका उपचार कराया जाए तो उनकी स्थिति में सुधार होने की संभावना होती है।जैसलमेर जिला निवासी यह युवक बीते 10 सालों से मानसिक रोग सिजोफ्रेनिया से ग्रस्त हो गया था। बीमारी के चलते छोटी-छोटी बातों पर उग्र हो जाता था, जिससे परिजन उसे बांध कर घर में रखते थे। परिजनों का कहना है कि उन्होंने स्थानीय अस्पतालों में काफी दिखाया , लेकिन स्थिति में सुधार नहीं हुआ था। देखते देखते इस स्थिति में 10 साल हो गए। पिछले दिनों यह ज्यादा ही उग्र हो गया था, जिससे परिजन भी घबरा गए।
परिजनों ने अहमदाबाद निवासी उनके ही गांव के रहने वाले सुमेरसिंह भाटी व मुकेश मेहता से संपर्क किया। इन दोनों मित्रों ने बीमार युवक को अहमदाबाद के दिल्ली दरवाजा के बाहर स्थित सरकारी मानसिक स्वास्थ्य अस्पताल में लाने की सलाह दी।तीन दिन के उपचार में ही सुधार
तीन दिन पूर्व अहमदाबाद के इस अस्पताल में इस युवक को लाया गया। मनोचिकित्सकों ने इसे भर्ती कर उपचार शुरू किया। तीन दिन के उपचार में ही उसकी हालत में काफी सुधार हुआ है। उसे जंजीरों से मुक्ति दी गई है। अस्पताल के सामाजिक कार्यकर्ता अर्पण नायक ने बताया कि मनोचिकित्सक डॉ. चिराग परमार की देखरेख में युवक का उपचार किया जा रहा है।
कुछ दिनों के उपचार से सुधर जाती है स्थितिनायक ने बताया कि मरीज को इस तरह की स्थिति में रखने के अन्य भी मामले भी सामने आते हैं। लेकिन इस तरह से रखने से कोई निराकरण नहीं होता है। जब तक उचित जगह उपचार नहीं लिया जाएगा तब तक मरीज के ठीक होने की गुजांइश नहीं रहती है। कुछ दिनों तक उचित उपचार लिया जाए तो इस तरह के मरीजों के ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है।