Ahmedabad News जीयू में डुप्लीकेट अंकतालिका, डिग्री सर्टिफिकेट के लिए शपथ-पत्र से मिल सकता है छुटकारा
Ahmedabad, Gujarat university, Duplicate Marksheet, degree certificate, affidavit सिंडीकेट में सहमति, आधिकारिक निर्णय जल्द, समयसीमा होगी तय, छात्र सीनेट, स्टूडेंट वेल्फेयर चुनाव का भी उठा मुद्दा
Ahmedabad News जीयू में डुप्लीकेट अंकतालिका, डिग्री सर्टिफिकेट के लिए शपथ-पत्र से मिल सकता है छुटकारा
अहमदाबाद. गुजरात विश्वविद्यालय (जीयू) में डुप्लीकेट अंकतालिका या डिग्री सर्टिफिकेट प्राप्त करने के लिए विद्यार्थियों को जल्द ही शपथ-पत्र पेश करने से छुटकारा मिल सकता है। इस बाबत सोमवार को हुई सिंडीकेट की बैठक में सहमति बनी है। आधिकारिक निर्णय भी जल्द ले लिया जाएगा। इतना ही नहीं आवेदन करने के बाद कितने दिनों में सर्टिफिकेट प्रदान किए जाएंगे उसकी समय सीमा भी 10 दिनों के अंदर तय करने का निर्णय सिंडीकेट की बैठक में हुआ है।
सिंडीकेट की बैठक में जीयू की छात्र सीनेट (स्टूडेंट सीनेट) और स्टूडेंट वेल्फेयर बोर्ड के चुनावों को लेकर भी चर्चा हुई। जिसमें इस साल चुनाव कराने पर ज्यादातर सदस्य और अधिकारी तैयार दिखाई दिए हैं। हालांकि इस मामले में जनवरी २०२० में ही कुछ फैसला होगा। क्योंकि चुनाव छात्र सीनेट और स्टूडेंट वेल्फेयर बोर्ड में आरक्षण दिए जाने के मुद्दे को लेकर अटका है। इस मामले में सरकार की ओर से कोई हरी झंड़़ी नहीं मिल पाई है।
वरिष्ठ सिंडीकेट सदस्य प्रो.जसवंत ठक्कर ने बताया कि अभी विद्यार्थियों को उन्हीं की यदि अंकतालिका की डुप्लीकेट प्रतिलिपि चाहिए तो उन्हें शपथपत्र देना होता है। इस शपथपत्र से उन्हें छुटकारा मिले और वे अपना पहचान पत्र या आधारकार्ड देकर डुप्लीकेट अंकतालिका या डिग्री सर्टिफिकेट पा सकें। इस मामले में सहमति बनी है। जल्द आधिकारिक निर्णय जारी होगा। इसके अलावा आवेदन के कितने दिनों में प्रमाण-पत्र मिलें इसकी समय सीमा भी तय की जाएगी।
आकार बीएड मामले में एनसीटीई को भेजी जाएगी रिपोर्ट
प्रो.ठक्कर ने बताया कि आकार बीएड मामले में मान्यता को लेकर उठ रहे सवाल के मामले में गठित जांच समिति की रिपोर्ट बैठक में खोली गई। जिस पर चर्चा हुई और यह रिपोर्ट एनसीटीई में भेजने का निर्णय हुआ है। जिसके तहत मान्यता होने से जुड़ा पत्र एनसीटीई का ही है ऐसे में निर्णय भी परिषद को ही करना है।
उत्तरपुस्तिका मूल्यांकनमें गड़बड़ी करने वाले प्रोफेसर पर कार्रवाई
वर्ष २०१६ में बीकॉम की उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन कार्य में नियमों की अनदेखी करने एवं गड़बड़ी करने के मामले में गठित जांच समिति की रिपोर्ट भी तीन सालों बाद खोली गई। इस मामले में प्रोफेसर को जांच समिति ने प्रथमदृष्टया जिम्मेदार माना है और प्रोफेसर को आजीवन उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन कार्य से दूर रखने एवं दो सौ की जगह जो दो हजार उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन करने का बिल लिया है उसकी वसूली करने को कहा है। भविष्य में किसी भी प्रकार की आर्थिक गतिविधि की जिम्मेदारी नहीं देने का भी निर्णय हुआ है। प्रोफेसर पर आरोप है कि उन्होंने प्रोफेसर, व्याख्याता ना हों ऐसी युवतियों से उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन कराया। जिससे विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हुआ। इसकी रिपोर्ट शिक्षा विभाग में भेजी जाएगी। प्रोफेसर गुजरात कॉलेज में कार्यरत हैं फिलहाल केजीसी में विशेष जिम्मेदारी सौंपी गई है।
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