मानदेय नहीं वेतन चाहिएइस बारे में प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह छौंकर का कहना है कि शिक्षामित्र संगठन को सरकार से मानदेय नहीं बल्कि वेतन चाहिए। सरकार हमें बरगला रही है। सरकार ने संकल्प पत्र में वादा किया था कि तीन महीने में हम शिक्षामित्रों की समस्याओं का निदान करेंगे लेकिन अब सरकार मुकर रही है। हमें सरकार का 10000 रुपए प्रतिमाह देने का फैसला मंजूर नहीं है। लखनऊ में अब भी हम अपने हक के लिए आंदोलन कर रहे हैं और ये आंदोलन तब तक चलेगा जब तक सरकार हमारी मांगें मान नहीं लेती। जिलाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह छौंकर ने बताया कि आज दोपहर 2 बजे हम मुख्यमंत्री से बातचीत करेंगे। बातचीत में यदि मुख्यमंत्री हमारी मांगें मान लेते हैं तो ठीक वरना हम आंदोलन जारी रखेंगे।
आपको बता दें कि सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित इन शिक्षामित्रों को अभी तक 38,800 रुपए प्रतिमाह वेतन मिल रहा था। वहीं समायोजन से वंचित शिक्षामित्रों को 3500 रुपए मानदेय के रूप में मिल रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने इनके समायोजन को रद्द कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से नाराज समायोजित शिक्षामित्र लगातार कोर्ट के फैसले का विरोध कर रहे थे। इसी विरोध के चलते उन्होंने सोमवार को राजधानी लखनऊ में आंदोलन शुरू किया था। आंदोलन के बाद योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अनुपालन करते हुए और शिक्षामित्रों की मांग का ध्यान रखते हुए समायोजित शिक्षामित्रों व गैर समायोजित शिक्षामित्रों दोनों को समान मानदेय 10000 रुपए प्रतिमाह देने का फैसला किया है।