ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि वैसे तो शनिदेव का पूजन किसी भी समय करो तो शुभ है लेकिन प्रदोष काल सर्वोत्तम माना जाता है। प्रदोष काल सूर्यास्त से आधे घंटे पहले से लेकर सूर्यास्त के आधे घंटे बाद तक का होता है। पूजन के समय शनिदेव को सरसों के तेल का दीपक व सरसों के तेल के बने मिष्ठान अर्पित करें। इसके अलावा काले तिल, काली उड़द, काला कपड़ा, लोहे की कोई चीज और सरसों का तेल चढ़ाकर सारा सामान किसी को दान कर दें। इसके बाद दशरथकृत शनि स्तोत्र का तीन बार पाठ करें। शनि मंत्र और शनि चालीसा पढ़ सकते हैं। ऐसा करने से शनि की महादशा के कष्ट कटते हैं और शनि की कृपा मिलती है।
घर पर पूजन करना हो तो ऐसे करें
सर्वप्रथम स्नानादि करके शुद्धता के साथ एक लकड़ी के पाटे पर काला कपड़ा बिछाकर उस पर शनिदेव की प्रतिमा या सुपारी रखें। शुद्ध घी व तेल का दीपक जलाएं व धूप जलाएं। इसके बाद शनिदेव पर अबीर, गुलाल, सिंदूर, कुंकुम एवं काजल लगाकर नीले या काले फूल अर्पित करें। फिर तेल में तली वस्तुओं को चढ़ाएं। इसके बाद फल अर्पित करें। 5, 7, 11 या 21 बार शनि मंत्र का जाप करें और फिर शनि चालीसा का पाठ करके आरती करें।