पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर के महंत अजय राजौरिया बताते हैं कि जहां आज ये मंदिर है, वहां कभी घना जंगल हुआ करता था। एक बार पृथ्वीराज चौहान इस तरफ से गुजर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने यहां पर आराम करने का मन बनाया। पृथ्वीनाथ चौहान ने अपना घोड़ा बांध दिया, लेकिन कुछ देर बाद ही वह खुल गया। उन्होंने बहुत बार कोशिश की, लेकिन घोड़ा बांध नहीं पाए, वे परेशान हो गये। वे घोड़े को बांधने के लिए जगह तलाश कर रहे थे, उसी दौरान उन्हें शिवलिंग गड़ा मिला।
महंत अजय राजौरिया ने बताया कि पृथ्वीराज चौहान ने शिवलिंग को उखाड़ने की कोशिश की, लेकिन काफी खुदाई के बाद भी उसका ओर छोर नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने पूजा करनी शुरू की। यहां पर मंदिर का निर्माण कराया गया। इसके बाद से इस मंदिर की मान्यता बढ़ती चली गई। उन्हीं के नाम पर इस मंदिर का नाम पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर पड़ गया। बताया जाता है कि यहां जो भी भक्त सच्चे मन से कुछ भी मांगता है, तो उसकी हर मुराद पूरी होती है।
पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर पर वैसे तो श्रावण मास के चारों सोमवार को पूजा अर्चना और अभिषेक होता है, लेकिन श्रावण मास के आखिरी सोमवार को यहां पर मेले का आयोजन किया जाता है। रविवार शाम को मेले का शुभारम्भ हुआ। आज सोमवार को मेला चल रहा है। यह शाम तक चलेगा। प्रशासन ने मंदिर पर लगने वाले सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किये हैं।