रामसकल गुर्जर उत्तर प्रदेश का बड़ा ही चर्चित नाम है। कारण तो वैसे कई हैं, लेकिन बड़ा कारण ये भी माना जाता है कि वे मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी रहे हैं। इतना ही नहीं समाजवादी पार्टी की सरकार में रामसकल को ‘मिनी मुख्यमंत्री’ तक माना जाता था। कारण ये भी है कि रामसकल के पार्टी में ही कई विरोधी भी रहे, लेकिन उनके सामने कोई नहीं टिक पाया।
रामसकल गुर्जर ऐसे नेता हैं, जो आज से नहीं कई दशकों से मुलायम सिंह यादव के साथ हैं। बताया गया है कि जब मुलायम सिंह यादव जनता दल, समाजवादी जनता दल की राजनीति करते थे, तभी से रामसकल उनके साथ थे और जब समाजवादी पार्टी का गठन हुआ, तो रामसकल साथ ही रहे।
बड़े नेताओं का रहा विरोध
रामसकल गुुर्जर का सपा खेमे के कई बड़े नेताओं से छत्तीस का आंकड़ा भी था। सपा के राष्ट्रीय महासचिव और सपा से पहली बार आगरा में सांसद बने राज बब्बर भी उनके विरोध में थे। बताया गया है कि ताजगंज ऐरिया का कुआखेड़ा जिसे मिनी सैफई के नाम से जाना जाता है, वहां से कई बसों में एक साथ लोग भरकर मुलायम सिंह यादव के पास पहुंचे और रामसकल को जिलाध्यक्ष पद से हटाने की मांग की गई, लेकिन लम्बे समय तक उन्हें इस पद से कोई नहीं हटा सका।
इतना ही नहीं रामसकल गुर्जर समाजवादी पार्टी का अहम हिस्सा रहे हैं। छात्र जीवन से राजनीति की शुरुआत की। उन्होंने सपा छात्रसभा में रहते हुये ताजमहल के शहर आगरा में सपा के कदमों को मजबूत करने का काम किया, उसके बाद कई बड़े आंदोलनों में हिस्सा लिया। रामसकल ने आगरा में सपा के दो राष्ट्रीय अधिवेशन भी कराये, इसके साथ ही जो सपा का कार्यालय जिलाध्यक्ष के निवास से चलता था, उस कार्यालय को फतेहाबाद रोड पर बनवाने का श्रेय भी उन्हें ही जाता है।
रामसकल गुर्जर की पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश में अच्छी पकड़ मानी जाती है। वहीं सपा को आगरा में जिस तरह रामसकल ने मजबूत कर वर्चस्व स्थापित किया, वो बड़ी बात थी। रामसकल के भाजपा में आने से अन्य खेमों में हलचल है, तो वहीं भाजपाइयों में खुशी की लहर है।