2. बृहस्पति-बुध : दमा या श्वास की तकलीफ।
3. चंद्र-राहु : पागलपन या निमोनिया (बुखार)।
4. सूर्य-शुक्र : दमा और तपेदिक।
5. मंगल-शनि : शरीर का फटना, कोढ़, रक्त संबंधी बीमारी।
6. शुक्र-राहु : नपुंसकता, स्वप्न दोष आदि गुप्तांग संबंधी रोग।
7. शुक्र-केतु : पेशाब, धातु रोग, शुगर।
8. बृहस्पति-मंगल : पीलिया।
यदि किसी व्यक्ति को लंबे समय से बीमारी हो तो उसके लिए कुछ सामान्य उपाएं हैं।
. बुखार न उतरें तो तीन दिन लगातार गुड़ और जौ सूर्यास्त से पूर्व मंदिर में रख आएं।
. प्रति माह गाय, कौए और कुत्तों को मीठी रोटियां खिलाएं।
. पका हुआ सीता फल कभी-कभी मंदिर में रख आएं।
. रक्त चाप के लिए रात को सोते समय अपने सिरहाने पानी रख कर प्रात: पौधों को दें।
. कान की बीमारी के लिए काले-सफेद तिल सफेद और काले कपड़े में बांधकर जंगल या किसी सुनसान जगह पर गाड़कर आ जाएँ।
. जब भी श्मशान या कब्रिस्तान से गुजरना तो तांबे के सिक्के उक्त स्थान पर डालने से दैवीय सहायता प्राप्त होगी।
. यदि आंखों में पीड़ा हो तो शनिवार को चार सूखे नारियल या खोटे सिक्के नदी में प्रवाहित करें।
. शुगर, जोड़ों का दर्द, मूत्र रोग, रीढ़ की हड्डी में दर्द के लिए काले कुत्ते की सेवा करें।
. सिरहाने कुछ रुपए-पैसे रख कर प्रात: सफाईकर्मी को दे दें।