हम बात कर रहे हैं आगरा के रहने वाले हसनूराम राम की। हसनू ग्राम प्रधानी से लेकर देश के सर्वोच्च इलेक्शन राष्ट्रपति चुनाव के लिए भी आवेदन कर चुके हैं। यह अलग बात है कि उन्हें हर बार हार का मुंह देखना पड़ा लेकिन इसके बावजूद भी उनके उत्साह में कोई कमी देखने को नहीं मिलती। अब वह पंचायत चुनाव में 93वी चुनाव मैदान में उतरे हैं। इस बार वह जिला पंचायत पद ( Panchayat election ) के लिए अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.
हसनूराम की उम्र 74 वर्ष की हो चुकी है लेकिन अभी भी उनके जज्बे में कहीं कोई कमी दिखाई नहीं देती। देश में कहीं भी कोई चुनाव हो हसनूराम नामांकन करने से नहीं चूकते। वह नामांकन करने से पीछे नहीं हटते. अपने इसी जज्बे और जुनून के चलते हसनूराम ने रिकॉर्ड बना दिया है। हसनूराम राम पहले ऐसे व्यक्ति बन चुके हैं जो 93वी बार चुनाव लड़ने जा रहे हैं लेकिन आज तक एक बभी चुनाव नहीं जीते।
( up election )आगरा की तहसील खैरागढ़ क्षेत्र के गांव रामनगर के रहने वाले हसनूराम का चुनाव प्रचार करने का तरीका भी बिल्कुल अलग है। अपने अपने इसी अंदाज को लेकर वह इतने फेमस हो चुके हैं कि अब उन्हें चुनाव प्रचार करने की भी आवश्यकता नहीं पड़ती। हसनूराम को नाम से ही लोग जानने लगते हैं। हसनूराम का प्रचार किसी सिंबल या पार्टी के नाम से नहीं होता बल्कि वह खुद एक नजीर बन चुके हैं। वर्ष 1984-85 के दौर में उन्होंने सबसे पहला चुनाव लड़ा था। इसके बाद से उनके हारने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज तक जारी है। वह कोई भी चुनाव नहीं छोड़ते। अब उनकी पत्नी सूरमा देवी भी चुनाव मैदान में उतरी हैं और सूरमा ने नगला दुल्हे खान से ग्राम प्रधानी के लिए नामांकन किया है।
वर्ष 1988 में हसनूराम ने राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन किया था लेकिन उनका पर्चा खारिज हो गया था। इसके बाद उन्होंने लोकसभा और विधानसभा से लेकर जिला पंचायत और अन्य चुनाव लड़े। वर्ष 2020 में उन्होंने स्नातक और शिक्षक एमएलसी चुनाव भी लड़ा था। अब एक बार फिर से वह पंचायत चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने उतरे हैं।