वर्तमान में भाजपा के प्रबल प्रताप सिंह उर्फ राकेश बघेल जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ 51 में से 28 सदस्यों ने 21 जून को डीएम के समक्ष अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किए थे। डीएम ने परीक्षण के बाद इन प्रस्तावों को स्वीकार करते हुए अगली बैठक की घोषणा कर दी। 12 जुलाई को जिला पंचायत सभागार में पूर्वाह्न 10.30 बजे से अविश्वास प्रस्ताव पर बहस होगी। इसके बाद अध्यक्ष को बहुमत साबित करना होगा। इसके लिए उन्हें कम से कम 26 सदस्यों के समर्थन की जरूरत होगी।
2017 में सपा से छीनी थी कुर्सी
विधानसभा 2017 में भाजपा की सरकार बनने के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष के पद पर भी तख्ता पलट हुआ। सपा की कुशल यादव के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव हुआ, जिसके बाद भाजपा के प्रबल प्रताप ने बहुमत सिद्ध करते हुये जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा कर लिया था। जिला पंचायत अध्यक्ष का बमुश्किल डेढ़ साल कार्यकाल शेष है। सितंबर 2020 में इस चुनाव की घोषणा हो सकती है।
प्रबल प्रताप की कुर्सी पर खतरा दो बड़े नेताओं की जंग के बीच में आने से मड़रा रहा है। दरअसल प्रबल प्रताप को एससी आयोग के अध्यक्ष डॉ. रामशकंर कठेरिया का समर्थन था। लोकसभा चुनाव से पहले जब कठेरिया और प्रो. एसपी सिंह बघेल के बीच विवाद गहराया, तो प्रबल प्रताप सिंह कठेरिया के साथ खड़े हो गए। इतना ही नहीं प्रबल प्रताप ने प्रो. एसपी सिंह बघेल के खिलाफ प्रेस कांफ्रेंस तक कर डाली। तमाम कोशिशों के बावजूद एसपी सिंह बघेल न सिर्फ आगरा लोकसभा सीट से भाजपा की टिकट लाने में सफल रहे बल्कि सांसद भी चुने गए। इस बार तख्ता पलट के पीछे भाजपा के ही एक खेमे के हाथ माना जा रहा है।
जिला पंचायत अध्यक्ष प्रबल प्रताप सिंह का कहना है कि उनके पास पूर्ण बहुमत है। 12 जुलाई को इसे साबित करेंगे। उन्होंने कहा कि पार्टी का भी पूरा समर्थन है।