इसके लिए भक्त पहले से ही तैयारी शुरू कर देते हैं। घरों की साफ-सफाई पहले ही पूरी कर ली जाती है। दिवाली या लक्ष्मी पूजा के दिन हिंदू अपने घरों और दुकानों को गेंदे के फूल की लड़ियों और अशोक, आम, केले के पत्तों से सजाते हैं। इस दिन कलश में नारियल स्थापित कर, उसे घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर रखने को शुभ माना जाता है।
दिवाली पर लक्ष्मी पूजा की विधि (Lakshami Puja Vidhi)
1. घर की साफ-सफाई कर वातावरण शुद्ध कर गंगाजल छिड़कें और घर के द्वार पर रंगोली बनाएं और दीये जलाएं। 2. पूजा स्थल पर लक्ष्मी पूजा के लिए पर्याप्त ऊंचाई वाले आसन के दाहिनी ओर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर श्री गणेश, देवी लक्ष्मी, कुबेर की सुंदर रेशमी वस्त्रों और आभूषणों से सुसज्जित मूर्तियों को स्थापित किया जाता है। आसन के बायीं ओर एक सफेद कपड़ा बिछाकर, उस पर नवग्रह स्थापित किए जाते हैं। चौकी पर जलभरा कलश भी रखें। 3. इसके बाद सफेद कपड़े पर नौ जगह अक्षत (अखंडित चावल) छोटे समूह बनाकर उनपर नवग्रह की स्थापना की जाती है। लाल कपड़े पर गेहूं या गेहूं के आटे से सोलह टीले बनाएं। इसके बाद प्रदोष काल स्थिर लग्न या महानिशिथा काल (हालांकि इस समय तांत्रिक पूजा करते हैं) में शुभ मुहूर्त में पूजा करें। मान्यता है कि इस स्थिर लग्न में पूजा से लक्ष्मी जी घर में ठहर जाती हैं।
4.माता लक्ष्मी, गणेश जी और कुबेर की मूर्ति और नवग्रहों पर तिलक लगाएं, दीपक जलाकर जल, मौली, चावल, फल, गुड़, हल्दी, अबीर-गुलाल आदि अर्पित करें और माता महालक्ष्मी की स्तुति करें।
5.. इसके साथ देवी सरस्वती, मां काली, भगवान विष्णु और कुबेर देव की भी विधि विधान से पूजा करें।
6.महालक्ष्मी पूजन पूरे परिवार को एकत्रित होकर करना चाहिए। माता के मंत्र जपें और आरती गाएं। 7.महालक्ष्मी पूजन के बाद तिजोरी, बहीखाते और व्यापारिक उपकरण की पूजा करें। 8.पूजन के बाद श्रद्धा अनुसार जरूरतमंद लोगों को मिठाई और दक्षिणा दें।
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दिवाली पर जरूर करें ये काम (diwali par kya kare)
1.कार्तिक अमावस्या यानि दीपावली के दिन प्रात:काल शरीर पर तेल की मालिश के बाद स्नान करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से धन की हानि नहीं होती है।
2.दिवाली के दिन वृद्धजन और बच्चों को छोड़कर अन्य व्यक्तियों को भोजन नहीं करना चाहिए। शाम को महालक्ष्मी पूजन के बाद ही भोजन ग्रहण करना चाहिए। 3.दीपावली पर पूर्वजों का पूजन करें और धूप और भोग अर्पित करें। प्रदोष काल के समय हाथ में उल्का धारण कर पितरों को मार्ग दिखाएं। यहां उल्का से तात्पर्य है कि दीपक जलाकर या अन्य माध्यम से अग्नि की रोशनी में पितरों को मार्ग दिखाएं। ऐसा करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
4.दिवाली से पहले मध्य रात्रि को स्त्री-पुरुषों को गीत, भजन और घर में उत्सव मनाना चाहिए। कहा जाता है कि ऐसा करने से घर में व्याप्त दरिद्रता दूर होती है। ये भी पढ़ेंः