गोवर्धन पूजा कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को मनाई जाती है, ऐसे में उदयातिथि के आधार पर गोवर्धन पूजा का पर्व 2 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा। इस दिन को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। यहां जानते हैं गोवर्धन पूज का महत्व ..
गोवर्धन पूजा का महत्व (Govardhan Puja Mahatv)
गोवर्धन पूजा के दिन गोवर्धन पर्वत, भगवान श्री कृष्ण और गौ माता की पूजा की जाती है। इस दिन लोग घर के आंगन में या घर के बाहर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाते हैं और पूजा करते हैं। साथ ही इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है। भगवान कृष्ण को 56 भोग लगाने की भी परंपरा है।
एक अन्य मान्यता के अनुसार गोवर्धन पूजा दीपावली के अगले दिन राजा बली पर भगवान विष्णु की विजय का उत्सव है। ऋग्वेद के अनुसार इसी दिन भगवान विष्णु ने वामन अवतार में तीन पदों में सारी सृष्टि को नाप लिया था।
वहीं द्वापर युग में श्रीकृष्ण ने इसी दिन देवेंद्र के मानमर्दन के लिए गोवर्धन को धारण किया था और गोवर्धन पर्वत की पूजा शुरू कराई थी। साथ ही भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र के कोप से व्रजवासियों, पशु पक्षियों की रक्षा की थी। इस दिन नवधान्य का भोग अन्नकूट प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। आइये जानते हैं गोवर्धन पूजा का मुहूर्त और शुभ योग ..
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गोवर्धन पूजा का मुहूर्त और शुभ योग (Govardhan Puja Muhurt)
कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि आरंभः 1 नवंबर 2024 को शाम 06:16 बजे से
कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा का समापनः 2 नवंबर को रात 08:21 बजे पर
गोवर्धन पूजा पर्वः 2 नवंबर 2024 (उदयातिथि के आधार पर)
गोवर्धन पूजा मुहूर्तः 2 नवंबर 2024 को प्रात: काल 6 बजे से प्रातःकाल 8 बजे तक
दोपहर में 03:23 बजे से 05:35 बजे तक
आयुष्मान और सौभाग्य योग (Ayushman Yog On Govardhan Puja)
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्लेषक डॉ. अनीष व्यास के अनुसार गोवर्धन पूजा के दिन आयुष्मान और सौभाग्य योग बन रहा है। ज्योतिष शास्त्र में ये योग अत्यंत शुभ और लाभकारी बताए गए हैं। मान्यता है कि इन योग में किए गए कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। आयुष्मान योग सुबह 11:19 तक रहेगा, उसके बाद सौभाग्य योग प्रारंभ होगा।
गोवर्धन पूजा विधि (Govardhan Puja Vidhi)
भविष्यवक्ता डॉ. अनीष व्यास के अनुसार गोवर्धन पूजा के दिन गोबर से गोवर्धन देवता की शयन मुद्रा में प्रतिमा बनाई जाती है। उन्हें पुष्पों से सजाया जाता है। पूजन के दौरान देवता को दीपक, फूल, फल, दीप और प्रसाद अर्पित किया जाता है। बता दें कि शयनमुद्रा में बनाई गई गोवर्धन देवता की प्रतिमा के नाभि स्थान पर मिट्टी का दीपक रखा जाता है। पूजा के बाद सात बार परिक्रमा की जाती है। परिक्रमा के समय लोटे से जल गिराते हुए और जौ बोते हुए परिक्रमा करना चाहिए।