how to worship ma kali ke mantra
जगतजननी आदिशक्ति मां की आराधना कई रूपों में की जाती है। कहीं मां गायत्री के रूप में, कहीं नवदुर्गा के रूप में, तो कहीं दसमहाविद्याओं के रूप में मां को पूजा जाता है। इनका महाकाली रूप सर्वाधिक उग्र रूप है जिसके ध्यान मात्र से ही व्यक्ति के समस्त कष्टों का अंत हो जाता है और उसके भाग्य पर पड़ा हुआ ग्रहों का बुरा साया भी हट जाता है।
मां काली की आराधना यूं तो कभी भी की जा सकती है परन्तु इनकी आराधना के लिए महापर्व यथा होली, दीवाली, दशहरा तथा नवरात्रि विशेष तौर पर शुभ बताए गए हैं। आज पत्रिका आपके लिए मां काली के बारे में कुछ ऐसी ही जानकारी और मंत्र लेकर आया है जिन्हें आप होली के पर्व पर सिद्ध कर मनचाहा वरदान प्राप्त कर सकते हैं।
महाकाल की शक्ति है काली
काली को काल की शक्ति माना गया है। वे कालातीत अर्थात समय से परे हैं। वे ही समस्त जगत की आदि और अंत हैं। यदि आप पूरी श्रद्धापूर्वक मां की आराधना करें तो मां बहुत जल्द प्रसन्न हो जाती है और आपके जीवन में आए समस्त कष्टों को तुरंत ही दूर कर देती है। इनकी शरण में आए भक्त को साक्षात यमराज भी हाथ नहीं लगा सकते, अन्य तो दूर की बात हैं।
ऐसा है मां काली का स्वरूप
मां काली के चार हाथ हैं। एक हाथ में तलवार, एक हाथ में राक्षस का सिर। बाकी दो हाथ भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए है। मां के पास कान की बाली के लिए दो मृत सिर हैं। गर्दन में 52 खोपड़ी का एक हार, और दानव के हाथों से बना वस्त्र है। उनकी जीभ मुंह से बाहर रहती है, उनकी आंखे लाल रहती हैं। उनके चेहरे और स्तनों पर खून लगा रहता है।
मां का एकाक्षरी मंत्र
मां काली का एकाक्षरी मंत्र क्रीं है। इस मंत्र का स्वतंत्र रूप से भी जाप किया जाता है और अन्य मंत्रों के साथ संपुटित करके भी इसका प्रयोग किया जाता है। कहा जाता है कि इस मंत्र का सवा लाख जप करने पर व्यक्ति साक्षात ईश्वरस्वरूप बन जाता है। समस्त सिद्धियां उसके हाथ में आ जाती है।
ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै:
दुर्गासप्तशती में इस मंत्र का विशेष उल्लेख किया गया है। इस मंत्र के जाप से भक्त को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों की प्राप्ति होती है। इसके जाप से जीवन की सभी अभिलाषाएं पूर्ण होती हैं।
ऐसे करें मां काली की पूजा
मां काली की पूजा के लिए मां की तस्वीर या प्रतिमा को स्वच्छ आसन पर स्थापित करना चाहिए। इसके बाद उन्हें तिलक लगाएं तथा पुष्प आदि अर्पण करें। उपरोक्त मंत्रों में से कोई भी एक मंत्र चुन लें तथा लाल कंबल के आसन पर बैठकर उस मंत्र का पूरी निष्ठा के साथ 108 बार जप करें। जप के बाद अपनी सामर्थ्य अनुसार मां को भोग चढ़ाएं तथा उनसे अपनी इच्छा पूर्ण करने की प्रार्थना करें।
आप इस प्रयोग को अपनी मनोकामना पूरी होने तक जारी रखें। परन्तु यदि आप किसी विशेष या कठिन लक्ष्य को ध्यान में रखकर उपासना करना चाहते हैं कि यदि योग्य व्यक्ति को गुरु स्वीकार कर उनके निर्देशन में सवा लाख, ढाई लाख अथवा पांच लाख मंत्र का जप आरंभ कर सकते हैं।