अमावस्यायुक्त प्रतिपदा पर पूजन वर्जित
पुराणों में यह स्पष्ट रूप से वर्णित है कि यदि अमावस्या के साथ प्रतिपदा का थोड़ा भी योग हो, तो उस समय लक्ष्मी पूजन वर्जित होता है। ऐसा पूजन लक्ष्मी का नाश और दुर्भाग्य का कारण बन सकता है। स्कंद पुराण के अनुसार, अमावस्या युक्त प्रतिपदा पर मांगलिक कार्य और पूजन का निषेध किया गया है। इसलिए, दीपावली का पूजन तब करना चाहिए जब अमावस्या का शुद्ध समय हो और प्रतिपदा का योग ना हो।पंचांग की सीमाएं और शास्त्रों की महत्ता
पंचांग का उपयोग जानकारी के लिए किया जाता है, लेकिन धर्म और पूजन के निर्णय केवल वेद, स्मृति और पुराणों के आधार पर किए जाते हैं।यह कहना है ज्योतिषाचार्य का
ज्योतिर्विद पं. आनंदशंकर व्यास ने बताया कि चौदस और अमावस 31 अक्टूबर को रहेगी, वहीं 1 नवंबर को दोपहर 3.45 बजे तक अमावस्या मानी जाएगी। इसके बाद एकम तिथि लग जाएगी, क्योंकि तिथि बदल जाने के बाद मां लक्ष्मी का पूजन करना उचित नहीं होगा, इसलिए 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाना चाहिए।ज्योतिषाचार्य पं अमर डब्बावाला का कहना है 31 तारीख को ही मां लक्ष्मी का पूजन करना उचित है, क्योंकि काल गणना और ज्योतिष विधि के अनुसार 31 को ही अमावस्या होना माना जा रहा है। 1 नवंबर को शाम होने से पहले ही अमावस्या खत्म हो जाएगी।
ज्योतिषाचार्य अजयशंकर व्यास का कहना है, हिंदू धर्म में 5 दिन दीपोत्सव मनाने की परंपरा है। इस अनुसार 31 को दीपावली मनाना श्रेष्ठकर होगा, 1 नवंबर को दोपहर बाद अमावस्या खत्म हो जाएगी इसलिए 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाई जाए।
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