बुधवार को बोस्टन में इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर स्टेम सेल रिसर्च की वार्षिक बैठक में यह उल्लेखनीय शोध चर्चा का विषय बना रहा। हालांकि, कैम्ब्रिज-कैल्टेक लैब के नवीनतम शोध का पूरा विवरण अभी तक किसी जर्नल पेपर में प्रकाशित नहीं हुआ है।
कैंब्रिज विश्वविद्यालय और कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की प्रोफेसर मैग्डेलेना जर्निका-गोएत्ज ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि हम एम्ब्रायोनिक स्टेम सेल की रीप्रोग्रामिंग से भूण जैसे मॉडल बना सकते हैं। यह सुंदर है और पूरी तरह से भ्रूण स्टेम सेल से बनाया गया है।
क्लीनिकली उपयोग संभव नहीं
मौजूदा मॉडल में फिलहाल कतई ये संभावना नहीं है कि इस सिंथेटिक भ्रूण को क्लीनिकली उपयोग किया जाए। किसी महिला के गर्भाशय में इसको रखना पूरी तरह अवैध होगा। साथ ही, यह भी अब तक स्पष्ट नहीं है कि इन भ्रूण संरचनाओं में विकास के शुरुआती चरणों से आगे चलकर पूर्ण परिपक्व होने की क्षमता है या नहीं।
वैज्ञानिकों का दावा है कि ये कृत्रिम रूप से बनाए गए भ्रूण बार-बार होने वाले गर्भपात के जैविक कारणों पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कर सकते हैं। मनुष्य के भ्रूण के विकास में आरंभिक 16 से 17 दिन की अवधि को ब्लैक बॉक्स की संज्ञा दी जाती है, जिसके बारे में वैज्ञानिकों ज्यादा नहीं जानते। इस सिंथैटिक भ्रूण से उन्हें इस बारे में ज्यादा जानकारी मिल सकेगी। लैंसेट मैग्जीन के अनुसार, दुनिया भर में 2 करोड़ 30 लाख गर्भपात हर साल होते हैं।
ये एक तरह का कल्चर भ्रूण जैसा है। इससे आरंभिक दिनों के प्लेसेंटा आदि को करीब से देखा जा सकेगा, जिसके बारे में अब तक ज्यादा जानकारी नहीं है। इससे गर्भपात या भ्रूण विकृतियां रोकने में मदद मिलेगी। स्वागत योग्य खोज।
डॉ. सीमा शर्मा, एचओडी (गाइनिक), जेएनयू हॉस्पिटल