scriptअंडाणु व शुक्राणु के बगैर स्टेम सेल से बना इंसान का सिंथेटिक भ्रूण | Wonder of stem cell, now success in making synthetic human embryo | Patrika News
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अंडाणु व शुक्राणु के बगैर स्टेम सेल से बना इंसान का सिंथेटिक भ्रूण

मानव प्रजनन अब एक नए मोड़ पर है। वैज्ञानिकों ने स्टेम सेल से पहली बार ङ्क्षसथेटिक मानव भ्रूण बनाया है। भ्रूण निर्माण की इस प्रक्रिया में मानव अंडाणु और शुक्राणु का उपयोग नहीं किया गया।

Jun 16, 2023 / 07:46 am

Swatantra Jain

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बोस्टन. मानव प्रजनन अब एक नए मोड़ पर है। वैज्ञानिकों ने स्टेम सेल से पहली बार ङ्क्षसथेटिक मानव भ्रूण बनाया है। भ्रूण निर्माण की इस प्रक्रिया में मानव अंडाणु और शुक्राणु का उपयोग नहीं किया गया। इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आइवीएफ) के जरिए इस ङ्क्षसथेकिट भ्रूण के निर्माण को मेडिकल जगत ब्रेकथ्रो की संज्ञा दे रहा है। इसके पहले वैज्ञानिकों को चूहे का सिंथेटिक भ्रूण बनाने में सफलता मिली था।
स्टेम सेल की रीप्रोग्रामिंग से बना भ्रूण मॉडल
बुधवार को बोस्टन में इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर स्टेम सेल रिसर्च की वार्षिक बैठक में यह उल्लेखनीय शोध चर्चा का विषय बना रहा। हालांकि, कैम्ब्रिज-कैल्टेक लैब के नवीनतम शोध का पूरा विवरण अभी तक किसी जर्नल पेपर में प्रकाशित नहीं हुआ है।
रीप्रोग्रामिंग से भूण जैसा मॉडल
कैंब्रिज विश्वविद्यालय और कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की प्रोफेसर मैग्डेलेना जर्निका-गोएत्ज ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि हम एम्ब्रायोनिक स्टेम सेल की रीप्रोग्रामिंग से भूण जैसे मॉडल बना सकते हैं। यह सुंदर है और पूरी तरह से भ्रूण स्टेम सेल से बनाया गया है।
सिंथैटिक भ्रूण में कितना जीवन

भ्रूण का मौजूदा मॉडल प्रथम तीन-चरणीय मानव भ्रूण मॉडल है, जो अंडे और शुक्राणु की पूर्ववर्ती कोशिकाओं एमनियन और जर्म कोशिकाओं से विकसित हुआ है। इस मॉडल में कोई धड़कता दिल या फिर मस्तिष्क की आरंभिक अवस्था मौजूद नहीं है। इससे तो बस प्लेसेंटा, यॉक सैक और भ्रूण का ही विकास हुआ है। मौजूदा मॉडल में ये संभावना नहीं है कि सिंथेटिक भ्रूण को क्लीनिकली उपयोग किया जाए। 14 दिनों से अधिक का मानव भ्रूण लैब में विकसित करना गैरकानूनी है।

क्लीनिकली उपयोग संभव नहीं
मौजूदा मॉडल में फिलहाल कतई ये संभावना नहीं है कि इस सिंथेटिक भ्रूण को क्लीनिकली उपयोग किया जाए। किसी महिला के गर्भाशय में इसको रखना पूरी तरह अवैध होगा। साथ ही, यह भी अब तक स्पष्ट नहीं है कि इन भ्रूण संरचनाओं में विकास के शुरुआती चरणों से आगे चलकर पूर्ण परिपक्व होने की क्षमता है या नहीं।
सिंथेटिक भ्रूण की क्यों पड़ी जरूरत
वैज्ञानिकों का दावा है कि ये कृत्रिम रूप से बनाए गए भ्रूण बार-बार होने वाले गर्भपात के जैविक कारणों पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कर सकते हैं। मनुष्य के भ्रूण के विकास में आरंभिक 16 से 17 दिन की अवधि को ब्लैक बॉक्स की संज्ञा दी जाती है, जिसके बारे में वैज्ञानिकों ज्यादा नहीं जानते। इस सिंथैटिक भ्रूण से उन्हें इस बारे में ज्यादा जानकारी मिल सकेगी। लैंसेट मैग्जीन के अनुसार, दुनिया भर में 2 करोड़ 30 लाख गर्भपात हर साल होते हैं।
कृत्रिम तकनीक से प्रजनन को बढ़ावा देने के लिए चीन की बड़ी घोषणा

गिरती जन्म दर की समस्या से निपटने के लिए चीन ने एक और बढ़ा कदम उठाया है। बीजिंग ने गुरुवार को घोषणा की है कि वह 1 जुलाई से शहर के हेल्थ केयर सिस्टम में 16 प्रकार की प्रजनन सहायक तकनीकों को कवर करेगी। इसके बाद, अब इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन, भ्रूण प्रत्यारोपण, स्पर्म फ्रीज और संग्रह करना जैसे कुछ उपचार बुनियादी बीमा के तहत शामिल किए जाएंगे। इसके पहले चीन ने पिछले दिनों घोषणा की थी कि सिंगल महिलाएं भी कानूनी तौर पर आईवीएफ ट्रीटमेंट ले सकेंगी।
कल्चर भ्रूण जैसी कामयाबी
ये एक तरह का कल्चर भ्रूण जैसा है। इससे आरंभिक दिनों के प्लेसेंटा आदि को करीब से देखा जा सकेगा, जिसके बारे में अब तक ज्यादा जानकारी नहीं है। इससे गर्भपात या भ्रूण विकृतियां रोकने में मदद मिलेगी। स्वागत योग्य खोज।
डॉ. सीमा शर्मा, एचओडी (गाइनिक), जेएनयू हॉस्पिटल

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