व्यापारिक तरीके से सुलझा रहे विवाद ?
दोबारा राष्ट्रपति की शपथ लेने के बाद ट्रंप का रवैया टिकटॉक को लेकर नरम दिख रहा है। राष्ट्रपति बनने के साथ ही एक कार्यकारी आदेश से उन्होंने बाइटडांस को अमरीका का बिजनेस अमरीकी कंपनी को बेचने के लिए 75 दिनों का अतिरिक्त समय दे डाला है। साथ ही 50:50 की साझेदारी की संभावना पर विचार करने की बात कही है। धमकी भी दी है कि कोई समझौता नहीं हुआ, तो वह चीन के खिलाफ व्यापार शुल्क बढ़ाने का विचार भी कर सकते हैं। क्या है टिकटॉक से जुड़ा पूरा मामला ?
साल 2020 में राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने राष्टीय सुरक्षा का हवाला देते हुए टिकटॉक पर बैन लगाने की कोशिश की। तब माइक्रोसॉफ्ट और ऑरेकल जैसी कंपनियों ने इसे खरीदने की इच्छा जताई थी। जो बाइडन के राष्ट्रपति बनने के बाद, ट्रंप का आदेश रद्द कर दिया गया। हालांकि, 2024 में बाइडन ने कानून पारित कर बाइटडांस को
टिकटॉक के अमरीकी हिस्से को बेचने या अपने कारोबार को समेटने के लिए कहा। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे सही ठहराया। इसी के चलते 19 जनवरी से टिकटॉक अमरीका में बंद होना शुरू हो गया था लेकिन ट्रंप के आते ही खेल बदल गया।
भारत ने लगाया सबसे पहले बैन?
राष्ट्रीय सुरक्षा और कंटेंट विनियामक चिंताओं के कारण कई देशों में टिकटॉक पर बैन है। डेटा सुरक्षा और गोपनीयता के बारे में चिंताओं का हवाला देते हुए भारत ने सबसे पहले 2020 में टिकटॉक पर बैन लगाया था। पाकिस्तान भी ऐप के इस्तेमाल को लेकर कई बार प्रतिबंध लगा और हटा चुका है। अफगानिस्तान ने इस पर बैन लगाते हुए कहा कि यह युवाओं को विचलित करता है। इंडोनेशिया व बांग्लादेश भी सेंसरशिप चिंताओं के कारण अस्थायी प्रतिबंध लगा चुके हैं।