वायरस के खिलाफ 76 प्रतिशत प्रभावी टीका
रिपोर्ट है कि स्वीकृत एमपॉक्स के टीका एक खुराक के बाद वायरस के खिलाफ 76 प्रतिशत प्रभावी है और 2 खुराक के बाद 82% प्रभावी (Vaccine Efficacy) है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंकीपॉक्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (Global Health Crisis) घोषित कर दिया है। WHO के मुताबिक, मंकीपॉक्स 121 देशों में फैल चुका है, इस साल 500 लोगों की मौत हो चुकी है। जोखिम समूहों और कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों में मंकीपॉक्स वायरस के पांच मामले सामने आए हैं, जो विभिन्न देशों के यात्रियों में पाए गए।
प्री-क्वालिफिकेशन लिस्ट में शामिल
WHO की रिपोर्ट के मुताबिक बवेरियन नॉर्डिक की MVA-BN वैक्सीन को प्री-क्वालिफिकेशन लिस्ट में शामिल कर लिया गया है। WHO की प्री-क्वालिफिकेशन एक ऐसा प्रक्रिया है, जिसमें दवाओं और वैक्सीन की क्वालिटी, सेफ्टी और प्रभावशीलता का मूल्यांकन किया जाता है। यह प्रक्रिया बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सुनिश्चित करती है कि सुरक्षित वैक्सीन ही बाजार में उपलब्ध हो। इस वैक्सीन की समीक्षा यूरोपियन मेडिसिन्स एजेंसी ने की थी और इसके आधार पर डब्ल्यूएचओ ने इसे प्री-क्वालिफिकेशन लिस्ट में शामिल कर लिया है। अब स्थानीय और वैश्विक स्तर पर इस वैक्सीन की उपलब्धता को बढ़ाया जा सकेगा।
बीमारी के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम
WHO के अनुसार इस प्री-क्वालिफिकेशन से इस वैक्सीन को उन जगहों पर तेजी से लगाया जा सकेगा, जहां एमपॉक्स का सबसे ज्यादा प्रकोप देखा जा रहा है। इस वैक्सीन से एमपॉक्स से बचाव में मदद मिलेगी। WHO के महासचिव डॉ. टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस ने कहा कि एमपॉक्स के खिलाफ वैक्सीन की पहली प्री-क्वालिफिकेशन बीमारी के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम है। अब जरूरी है कि वैक्सीनेशन के लिए खरीदारी, डोनेशन और वितरण में तेजी लाई जाए, ताकि जहां जरूरत है वहां वैक्सीन की समान पहुंच सुनिश्चित की जा सके और लोगों का जीवन बचाया जा सके।
किन लोगों को लगाई जा सकेगी यह वैक्सीन?
डब्ल्यूएचओ के अनुसार MVA-BN वैक्सीन को 18 साल से ज्यादा लोगों को लगाया जा सकेगा और इस वैक्सीन की 2 डोज दी जाएंगी। ये दो डोज 4 हफ्तों के गैप पर दी जा सकती हैं। इस वैक्सीन को 2–8°C पर 8 हफ्ते तक रखा जा सकता है। अभी तक के डाटा से पता चलता है कि MVA-BN वैक्सीन की सिंगल डोज एमपॉक्स से बचाने में 76% इफेक्टिव हो सकती है। जबकि 2 डोज लेने पर यह वैक्सीन 82 फीसदी तक असरदार हो सकती है। हालांकि एमपॉक्स की चपेट में आने के बाद ये वैक्सीन लगाई जाए, तो इसका असर कम हो सकता है। WHO ने 7 अगस्त 2024 को एमपॉक्स के वैक्सीन को इमरजेंसी यूज के लिए लिस्ट किया था और MVA-BN वैक्सीन की मूल्यांकन की प्रक्रिया शुरू की थी।
एमपॉक्स ग्लोबल हैल्थ इमरजेंसी हुआ था घोषित
बीती 14 अगस्त को अफ्रीकी देश कांगो समेत कई देशों में एमपॉक्स के मामले मिलने के बाद डब्ल्यूएचओ ने इसे पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी ऑफ इंटरनेशनल कन्सर्न (PHEIC) घोषित किया था। साल 2022 से बाद अब तक 120 से अधिक देशों में एमपॉक्स के 103000 से ज्यादा मामलों की पुष्टि की जा चुकी है। इसी साल अब तक अफ्रीकी क्षेत्र के 14 देशों में 25237 केस मिले हैं और 723 मौतें दर्ज की गई हैं। इससे पता चलता है कि एमपॉक्स की स्थिति वैश्विक स्तर पर गंभीर हो गई है और इसे रोकने के लिए वैक्सीन की सख्त जरूरत है।
क्या है एमपॉक्स की बीमारी?
एमपॉक्स को एक वायरल इंफेक्शन है, जो मंकीपॉक्स के वायरस से फैलता है. 1970 के दशक से अफ्रीकी देशों में इसके केस आना शुरू हुए थे और यह बीमारी अफ्रीकी महाद्वीप तक ही सीमित था। हालांकि अब यह संक्रमण अन्य देशों में फैलने लगा है. इस वायरस को सबसे पहले बंदरों में पाया गया था, जिसकी वजह से इसका नाम मंकीपॉक्स रखा गया था. एमपॉक्स के लक्षण फ्लू जैसे होते हैं। इसकी चपेट में आने पर लोगों को तेज बुखार, खांसी और जुकाम की समस्या, शरीर में दर्द, अत्यधिक थकावट हो जाती है. साथ ही स्किन पर छाले (चकत्ते) होने लगते हैं.
एमपॉक्स के लक्षण
इस बीमारी के लक्षण फ्लू जैसे होते हैं और इसकी चपेट में आने पर लोगों को तेज बुखार, खांसी और जुकाम की समस्या, शरीर में दर्द, अत्यधिक थकान हो जाती है। साथ ही स्किन पर छाले (चकत्ते) होने लगते हैं। वायरस की आनुवंशिक सामग्री ( DNA) के लिए परीक्षण
उल्लेखनीय है कि एमपॉक्स,
मंकीपॉक्स वायरस के कारण होता है, जो चेचक वायरस से संबंधित है। दाने सबसे प्रमुख लक्षण है। एमपॉक्स का आमतौर पर त्वचा के घाव से एक नमूना लेकर और वायरस की आनुवंशिक सामग्री ( DNA) के लिए परीक्षण कर के निदान किया जाता है।