UK General Elections 2024: प्रवासी भारतीय मतदाताओं से जुड़ी हुई हैं PM सुनक की उम्मीदें, जानें क्यों?
UK General Elections 2024: भारत और ब्रिटेन के मधुर हुए रिश्तों में प्रवासी भारतीयों का अभूतपूर्व व विशिष्ट योगदान रहा है। यूके में आम चुनाव के मदृेनजर हमने ब्रिटेन शासन में अच्छा खासा दखल रखने वाले राजस्थान मूल के प्रभावशाली प्रवासी भारतीय हरेंद्रहसिंह जोधा (Harendra singh Jodha ) से सीधे लंदन से बात की, पेश है चुनाव पर उनका विश्लेषण :
UK General Elections 2024: ब्रिटेन में आम चुनाव के मदृेनजर यूके में राजस्थान मूल के प्रवासी भारतीय हरेंद्रहसिंह जोधा ( Harendra singh Jodha) से चुनाव के विषय पर सीधे लंदन बात की, पेश हैं आम चुनाव पर उनके विचार :
ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने सन 2015 में वेम्बले स्टेडियम के उत्साह की पृष्ठभूमि में एक ऐसे भविष्य की कल्पना की है, जहां यूनाइटेड किंगडम भारतीय मूल के प्रधानमंत्री को देखेगा। सन 2022 में ऋषि सुनक ( Rishi Sunak) की तरक्की न केवल ब्रिटिश भारतीयों की उल्लेखनीय उपलब्धियों का प्रतीक है, बल्कि यूके के राजनीतिक परिदृश्य में भारतीय प्रवासियों का बढ़ता प्रभाव भी रेखांकित करती है। भारत-ब्रिटेन संबंधों पर ब्रिटिश चुनावों का प्रभाव बहुआयामी है, जिसमें ऐतिहासिक संबंध, प्रवासी प्रभाव और आर्थिक संभावनाएं शामिल हैं।
कुल जनसंख्या का 2.5 प्रतिशत
यूनाइटेड किंगडम में प्रवासी भारतीय अब देश का सबसे बड़ा अप्रवासी समूह है। यह समुदाय युवा, तेजी से बढ़ते और अपेक्षाकृत अच्छी तरह से शिक्षित व्यक्तियों को मिला कर यूके में सबसे अधिक कमाई करने वाले जातीय समूहों में से एक बन गया है। 2011 की जनगणना के अनुसार, भारतीय मूल के लगभग 1.4 मिलियन लोग यूनाइटेड किंगडम में रहते हैं, जो कुल जनसंख्या का 2.5 प्रतिशत है।
भारतीय मूल के 15 संसद सदस्य
सन 2019 के ब्रिटिश चुनाव में भारतीय मूल के 15 संसद सदस्यों (सांसदों) ने पदभार संभाला, जिनमें दो हाई-प्रोफाइल कैबिनेट मंत्री भी शामिल थे। ब्रिटेन के शीर्ष 100 उद्यमियों में से 9 और, 20 सबसे धनी निवासियों में से तीन भारतीय मूल के (NRI) हैं। इसके अतिरिक्त, भारतीय व्यापार जगत के दिग्गज यूके में घरों में निवेश करते हैं, जबकि यह देश विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले भारतीय छात्रों के लिए एक पसंदीदा स्थल बना हुआ है।
आम चुनावों में मतदान करने का मौका
यहां 1.8 मिलियन की आबादी के साथ, हम कड़ी मेहनत, उद्यम, सामुदायिक भावना और सेवा के मूल्यों को अपनाते हैं। राष्ट्रमंडल नागरिकों के रूप में उन्हें देश में स्थानीय और आम चुनावों में मतदान करने का भी मौका मिलता है। लोकतंत्र हमारे डीएनए में गहराई से अंतर्निहित है – सबसे बड़े से लेकर सबसे पुराने लोकतंत्र तक।
एनएचएस में सेवा
सन 2024 के आम चुनाव महत्वपूर्ण मुद्दों पर हमारी प्राथमिकताओं को व्यक्त करने का एक महत्वपूर्ण अवसर खोलता है। चाहे वह स्कूलों में निवेश बढ़ाने की वकालत हो या बेहतर स्वास्थ्य देखभाल परिणामों की, हमारी भागीदारी मायने रखती है। विशेष रूप से, भारतीय मूल के 60,000 से अधिक चिकित्सा पेशेवर राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा ( NHS) में सेवा करते हैं।
लेफ्ट-ऑफ़-सेंटर लेबर पार्टी के कट्टर समर्थक
ऐतिहासिक रूप से, ब्रिटिश भारतीय-अधिकतर लेफ्ट-ऑफ़-सेंटर लेबर पार्टी के कट्टर समर्थक रहे हैं। हालिया सर्वेक्षण डेटा और वास्तविक साक्ष्य समुदाय के राजनीतिक झुकाव में बदलाव का संकेत देते हैं। ब्रिटिश भारतीयों का बढ़ता अनुपात अब लेबर पार्टी से केंद्र की दक्षिणपंथी कन्जर्वेटिव पार्टी की ओर अपनी निष्ठा बदल रहा है। सन 2010 में, 61% ब्रिटिश भारतीयों ने पार्टी के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त की है, लेकिन 2019 तक यह आंकड़ा घट कर केवल 30% रह गया है।
भारतीय प्रवासियों तक पहुंच
ब्रिटिश भारतीयों के हितों का प्रतिनिधित्व करने के मामले में लेबर को थोड़ी बढ़त दी है, लेकिन कन्जर्वेटिव संसदीय कार्यालय के लिए प्रवासी सदस्यों को टिकट देने में आगे हैं। भारतीय प्रवासियों का विस्तार यूनाइटेड किंगडम में विदेशी और घरेलू दोनों नीतियों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। सन 2014 में सत्ता संभालने के बाद से, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी विदेश नीति के केंद्रीय तत्व के रूप में भारतीय प्रवासियों तक पहुंच को प्राथमिकता दी है। उनके उद्देश्यों में भारतीय हितों का समर्थन करने के लिए उनकी वित्तीय, मानवीय और राजनीतिक पूंजी का लाभ उठाना, पर्याप्त प्रवासी आबादी वाले अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के साथ घनिष्ठ संबंध को बढ़ावा देना शामिल है।
भारत की सत्तारूढ़ भाजपा से संबद्ध
टिप्पणीकारों का सुझाव है कि ब्रिटेन की विदेश नीति और घरेलू राजनीति तेजी से आपस में जुड़ी हुई हैं, जो ब्रिटिश भारतीयों की मतदान प्राथमिकताओं में अंतर्निहित पक्षपातपूर्ण बदलाव को प्रभावित कर रही है। उदाहरण के लिए, लेबर पार्टी को भारत के घरेलू मामलों की आलोचनात्मक नीति अपनाने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है। स्वतंत्र कश्मीर के लिए उनका मुखर समर्थन भारतीयों के बीच अत्यधिक अलोकप्रिय था। जवाब में, भारत की सत्तारूढ़ भाजपा से संबद्ध एक ब्रिटिश प्रवासी समूह ने कन्जर्वेटिव पार्टी की ओर से लगभग 50 संसदीय क्षेत्रों में एक उच्च-स्तरीय अभियान चलाया | जैसे-जैसे ब्रिटिश भारतीयों ने आर्थिक विकास का अनुभव किया है, उनका दृष्टिकोण अधिक कन्जर्वेटिव हो गया है।
भारतीय समुदायों के लिए प्रतिबद्ध
लेबर पार्टी ब्रिटेन के सबसे बड़े जातीय अल्पसंख्यक के बीच अपने समर्थन में गिरावट को पहचानते हुए, कीर स्टार्मर की पार्टी ने इस समुदाय के साथ संबंधों को मजबूत करने के उद्देश्य से कई उपाय लागू किए हैं। लेबर ने ब्रिटिश भारतीयों से सीधे जुड़ने और उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए सामुदायिक आउटरीच स्वयंसेवकों को काम पर रखा। पार्टी भारत के लेबर फ्रेंड्स ऑफ़ इंडिया को पुनर्जीवित कर रही है तो संवाद और सहयोग को बढ़ावा दे रही है।
लेबर पार्टी का लक्ष्य
ऐसा सन्देश देने की कोशिश की गई कि कीर स्टार्मर के नेतृत्व में परिवर्तित लेबर पार्टी, कामकाजी लोगों की सेवा करने और भारतीय समुदायों सहित विविध पृष्ठभूमि और विश्वासों से जुड़ने के लिए प्रतिबद्ध है। पार्टी के एक पदाधिकारी ने स्वीकार किया है कि भारतीय मतदाताओं को वर्षों से हल्के में लिया जाता रहा है और अब यह स्पष्ट है कि वे अन्य विकल्प तलाश रहे हैं। लेबर पार्टी का लक्ष्य इस प्रवृत्ति को उलटना है।
इकोनॉमी की गति तेज कर सकते हैं ऋषि सुनक
ब्रिटेन के पहले हिंदू प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, इकोनॉमी की गति को और तेज कर सकते हैं। बहरहाल यह ब्रिटेन की सरकार बहुआयामी चुनौतियों से जूझ रही है, ऐसे में हम एक निर्णायक परिणाम की आशा करते हैं ,जो यूके को आर्थिक विकास और समृद्धि की ओर ले जाने के लिए रणनीतियों के प्रभावी कार्यान्वयन को सक्षम करेगा।जैसे-जैसे राजनीतिक परिदृश्य विकसित होता है, दोनों पार्टियां भारतीय समुदाय के साथ जुड़ने का विविध दृष्टिकोण व महत्व पहचानती हैं। उम्मीद है कि नई सरकार भारत ओर ब्रिटेन के बीच रिश्तों के नए आयाम स्थापित करेगी।
ब्रिटेन में रह रहे राजस्थान मूल के प्रमुख प्रवासी भारतीय हरेंद्रसिंह जोधा।
हरेंद्रसिंह जोधा : एक नजर
ब्रिटेन में रह रहे प्रवासी भारतीयों की मदद करने वालों में एक प्रमुख नाम है हरेंद्रसिंह जोधा। वे लंदन के एक रेड जोन एक हैरो में रहते हैं और मूल रूप में मेड़ता सिटी के मोर्रा का रहने वाले हैं। जब कोरानाकाल में उन्होंने प्रवासी भारतीयों और विशेषकर प्रवासी राजस्थानियों की सेवा और सहायता करने का बीड़ा उठाया तो भारत और राजस्थान सरकार का उनकी ओर ध्यान आकर्षित हो गया। उसके बाद भारतीय दूतावास ने उनका नाम और नंबर ट्वीट किया कि जिन लोगो को भोजन और रहने की व्यवस्था की जरूरत है वो उनसे सम्पर्क कर सकते हैं। राजस्थान एसोसिएशन यूके, एफआईएसआई ,माहेश्वरी महासभा और अक्षयपात्र जैसे संगठनों ने साथ मिल कर काम किया।