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लोगों का मानना है कि ये विडंबना ही है कि जिस जगह का नाम डेथ वैली है वहां निर्जीव चीज भी चलती है। वर्षों से इस बात पर लोग शोध कर रहे हैं कि आखिर ये पत्थर अपनी जगह से कैसे खिसक रहे हैं। पत्थर अपनी पीछे खिसकने का एक लंबा निशान भी छोड़ जाते हैं।
2014 से पहले इन पत्थरों को लेकर काफी रिसर्च हुई। कुछ वैज्ञानिकों ने तो पत्थरों को नाम देकर उन्हें एक जगह पर छोड़ा मगर वो जब कुछ सालों बाद लौटे तो उन्होंने देखा कि 200 किलो से भी भारी पत्थर अपनी जगह से खिसककर करीब 1 किलोमीटर दूर पड़ा है। साल 2014 में रिचर्ड डी नॉरिस और उनके भाई जेम्स नॉरिस ने दावा किया कि उन्होंने पत्थरों के राज का पता लगा लिया है।
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उनके अनुसार ये मूवमेंट ठंड के दिनों में खास तरह के मौसम के दौरान ही होता है। जब सूखी झील पर हल्का पानी होता है और ठंड के दिनों में रात के वक्त वो पानी जम जाता है तो बर्फ की काफी पतली चादर बन जाती है। जब धूम निकलती है तो बर्फ के यही टुकड़े छोटे-छोटे पैनल में बंट जाती हैं और हल्के पानी पर फिसलने लगते हैं। इलाके में चलने वाली काफी तेज हवा से बर्फ के टुकड़े पत्थर को लेकर साथ में खिसकते हैं।
इस कारण से इनके खिसकने के साथ ही पीछे निशान भी छूट जाता है। दोनों भाइयों ने टाइम लैप्स तकनीक का इस्तेमाल कर के इस बात का पता लगाया था जिसका वीडियो यूट्यूब पर मौजूद है।