खमीर वाली रोटी भी बनाई जाती है
सऊदी शेफ का कहना था कि जीजान की प्रसिद्ध रोटी ‘फतह अल-लहुह’ के अलावा खमीर वाली रोटी भी बनाई जाती है, जो लकड़ी और कोयले पर पकाई जाती है, जिससे इसका स्वाद बेहद विशिष्ट हो जाता है। अतीत में पानी के लिए बनाए गए मग, जो एक बड़े पेड़ की जड़ से बनाए गए थे, भी उनके पास मौजूद हैं, जो 80 साल से ज्यादा पुराने हैं। शेफ अल-शोकानी केवल जीजान के पारंपरिक व्यंजन का परिचय ही नहीं दे रहे हैं, बल्कि वे अतीत की यादें भी ताज़ा कर रहे हैं, जब पत्थर के बर्तनों में खाना पकाया जाता था, जो एक अनोखा स्वाद रखता था।
इन बर्तनों की खाासियत
इन बर्तनों का सबसे खास पहलू यह है कि वे पूरी तरह से प्राकृतिक सामग्री से बने होते हैं, जो स्वाद और पके हुए व्यंजन के अनुभव को बिल्कुल अलग और खास बना देते हैं। उदाहरण के लिए, ‘अल-मगश’ नामक बर्तन 85 साल पुराना है, जो उनके पूर्वजों से उन्हें विरासत में मिला था। इन बर्तनों का उपयोग करते हुए, शेफ अल-शोकानी पारंपरिक तरीकों को अपनाते हैं और उन्हें आधुनिक समय में भी जीवित रखते हैं।
लकड़ी और कोयले पर पकाई जाती है फतह अल-लहुह रोटी
इसके अलावा, जीजान की एक और प्रसिद्ध रोटी ‘फतह अल-लहुह’ है, जो लकड़ी और कोयले पर पकाई जाती है। यह रोटी बेहद स्वादिष्ट होती है, और इसका अनोखा स्वाद लकड़ी और कोयले की गर्मी और धुएं से मिलता है। माजिद का कहना है कि जब आप इस रोटी का स्वाद लेते हैं, तो यह पुराने समय की याद दिलाती है, जब लोग इस तरह के पारंपरिक तरीकों से भोजन तैयार करते थे।
माजिद के पास एक प्राचीन मग
इसके अतिरिक्त, माजिद के पास एक प्राचीन पानी का मग भी है, जो एक बड़े पेड़ की जड़ से बनाया गया था और 80 साल से अधिक पुराना है। इस मग का उपयोग भी उनकी पारंपरिक पाक कला की एक महत्वपूर्ण कड़ी है, जो सऊदी अरब के जीजान क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने में मदद करता है।
पारंपरिक जीजान व्यंजनों को पुनर्जीवित कर रहे शेफ माजिद अल-शोकानी
बहरहाल शेफ माजिद अल-शोकानी न केवल पारंपरिक जीजान व्यंजनों को पुनर्जीवित कर रहे हैं, बल्कि वह इस क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को पूरी दुनिया तक पहुँचाने का कार्य भी कर रहे हैं। उनके द्वारा उपयोग किए जाने वाले प्राचीन बर्तन और विधियाँ, अतीत की यादों को ताज़ा करती हैं और जीजान की पाक कला को एक नई पहचान दिलवाती हैं।