केंचुओं से किया नुकसान का आकलन
शोध में पारंपरिक पॉलिएस्टर फाइबर और दो जैव-आधारित फाइबर-विस्कोस और लियोसेल का केंचुओं पर प्रभावों का परीक्षण किया है, जो वैश्विक स्तर पर मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण प्रजाति है। अध्ययन में पाया गया कि फाइबर की उच्च सांद्रता में, पॉलिएस्टर के संपर्क में आने पर 72 घंटों के बाद 30% केंचुए मर गए, जबकि बायो-आधारित फाइबर के संपर्क में आने वाले केंचुओं की मृत्यु दर बहुत अधिक थी। लियोसेल के मामले में यह 60% और विस्कोस के मामले में 80% रही। नई स्टडी 2024 में पहले प्रकाशित शोध का अनुसरण करती है, जिसमें बताया गया था कि बायोडिग्रेडेबल टीबैग में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्रियों के संपर्क में आने से केंचुओं की आबादी में मृत्यु दर 15% तक अधिक हो सकती है और केंचुओं के प्रजनन पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है।
बुसान में होने वाली है वैश्विक प्लास्टिक संधि वार्ता
शोध के नतीजे संयुक्त राष्ट्र द्वारा संभावित वैश्विक प्लास्टिक संधि के संबंध में वार्ता के अंतिम दौर के लिए दक्षिण कोरिया के बुसान में वैश्विक नेताओं के जुटने से कुछ सप्ताह पहले सामने आए हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार यह स्टडी माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण के खतरे को कम करने के वैश्विक प्रयासों की जटिल प्रकृति और खुले बाजार में जारी किए जाने से पहले प्लास्टिक के विकल्प के रूप में वकालत की जा रही नई सामग्रियों के परीक्षण के महत्व को उजागर करता है। एनवायरनमेंट साइंस एंड टेक्नोलॉजी जर्नल में प्रकाशित यह शोध बायो-प्लास्टिक-रिस्क परियोजना के हिस्से के रूप में प्लायमाउथ विश्वविद्यालय और बाथ विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने किया है।
उपयोग से पहले परखने की जरूरत
आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2022 में दुनिया भर में 320,000 टन से अधिक जैव-आधारित और बायोडिग्रेडेबल फाइबर का उत्पादन किया गया। इनमें से काफी मात्रा पर्यावरण में मिल जाएगी। शोध में देखा गया है कि यह उत्पाद केंचुओं पर प्रतिकूल प्रभाव डालते है, ऐसे में इस तरह के उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा देने से पहले इन पर अधिक जानकारी हासिल करने की आवश्यकता है। – डॉ. विन्नी कोर्टेन-जोन्स, स्टडी की मुख्य लेखक