किराने की दुकान चलाते थे मनमोहन सिंह
मानवतावादी समूह यूनाइटेड सिख के ट्विटर पर इस घटना के बारे ट्वीट किया गया। उन्होंने लिखा कि मनमोहन सिंह पेशावर के रशीद गढ़ी में एक किराने की दुकान चलाते थे और अपने परिवार के लिए कमाने वाले एकमात्र व्यक्ति थे। घटना के समय मनमोहन अपनी दुकान बंद कर घर जा रहे थे। दो मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने पहले उनका पीछा किया और फिर गोलियों की बरसात कर दी। इसके बाद उनकी मौके पर ही मौत हो गई।
कई सालों से जारी है हत्या का सिलसिला
आपको बता दें कि पेशावर में करीब 15,000 सिख रहते हैं। पिछले साल सितंबर में पेशावर में एक प्रसिद्ध सिख हकीम की अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। सिख हकीम की क्लिनिक में हत्या कर दी गई थी। इससे पहले साल 2018 में पेशावर में ही सिख समुदाय के एक प्रमुख सदस्य चरणजीत सिंह की अज्ञात लोगों ने हत्या कर दी थी। साल 2020 में न्यूज चैनल के एंकर रविंदर सिंह की जान ले ली गई। साल 2016 में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ नेशनल असेंबली के सदस्य सोरेन सिंह की भी पेशावर में हत्या हुई थी।