1. आइएमएफ जो शर्त पाकिस्तान को सबसे अधिक नगवार गुजर रही है, वो है 3.82 रुपए का बिजली सरचार्ज स्थाई रूप से लगाई जाने की मांग। पाकिस्तान इस सरचार्ज को कुछ समय के लिए लगाने के लिए तैयार है, लेकिन स्वंतत्र न्यायपालिका और संप्रभु संसद वाले लोकतांत्रिक देश के रूप में पाकिस्तान को ये सरचार्ज हमेशा के लिए लगा देने की मांग गले नहीं उतर रही है। साथ ही देश की गरीब जनता पर ये बोझ डालना भी शरीफ सरकार के लिए सियासी रूप से आत्मघाती कदम लग रहा है।
2. आइएफएफ की दूसरी शर्त पाक मुद्रा के विनिमय मूल्य को बाजार से जोड़ने की है। पाक को डर है कि ऐसा करने से पाक मुद्रा में भारी गिरावट आ जाएगी।
3. आइएमएफ की तीसरी शर्त ब्याज दरों में 150 से 250 बेसिस प्वाइंट बढ़ोतरी की है।
4. साथ ही आइएमएफ ने कहा है कि पाकिस्तान को अपने दि्वपक्षीय साझीदार देशों जैसे चीन, सऊदी अरब और यूएई से लिखित आश्वासन लेना होगा कि वे बाहरी मोर्चे पर उसके 7 अरब डॉलर के वित्तीय कमी की भरपाई करेंगे। पाकिस्तान को इस शर्त पर भी आपत्तियां हैं। पाकिस्तान इस वित्तीय कमी की गणना भी 7 की बजाए 5 अरब डॉलर कर रहा है और पाक को लिखित आश्वासन की शर्त भी काफी मुश्किल लग रही है।
बढ़ती महंगाई से पाकिस्तानी सेना भी अछूती नहीं है। इसके कारण सैनिकों की मेस में राशन की आपूर्ति भी प्रभावित हुई है। समुचित खाद्य आपूर्ति का मुद्दा सेना प्रमुख जनरस आसिम मुनीर के समक्ष भी उठाया जा चुका है। सेना के फील्ड कमांडरों ने कहा है कि कटौती के चलते सेना अब अपने जवानों को ठीक से दो वक्त भोजन कराने की स्थिति में भी नहीं है।
हयूमन राइट वॉच की रिपोर्ट में 2013 में ही ये रेखांकित किया गया था कि शिया विरोधी समूह ने पाकिस्तान की सेना के साथ गठबंधन कर लिया है। अब बाल्टीमोर पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान में तालिबान के आने के बाद संकटग्रस्त पाकिस्तान के शिया समुदाय को ये डर सता रहा है कि पाकिस्तान में वे अब पहले कहीं अधिक असुरक्षित हो गए हैं।
आइएमएफ की तरफ से नई शर्तों की खबर के बाद बुधवार को पाकिस्तानी रुपए में 4.6 रुपए (1.76 फीसदी) की बढ़ी गिरावट आ गई और पाकिस्तान रुपए डॉलर के समक्ष 266.22 रुपए तक गिर गया। वहीं पाकिस्तानी शेयर बाजार में भी बुधवार को 480.65 अंकों (1.19 फीसदी) की गिरावट दर्ज की गई।