राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के युद्ध के ऐलान के बाद रूस की सेना के दो लाख सैनिक यूक्रेन में घुस गए और कुछ ही घंटों बाद यूक्रेन की राजधानी कीव तक रूस के बम पहुंच गए थे। इसके बाद दुनियाभर के कई एक्सपर्ट्स ने दावा किया कि रूस चंद दिनों में यूक्रेन पर कब्जा कर लेगा। बीते एक साल में ना तो कोई जीता है और ना कोई हारा। शहर के शहर खंडहर में तब्दील हो गए। हजारों लोग मारे जा चुके हैं। जो बच गए हैं, वो शरणार्थी बनकर जिंदगी काट रहे हैं। रूस अभी तक पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है। वहीं यूक्रेन भी सीना तानकर खड़ा। दोनों की इस जंग में दुनिया की अर्थव्यवस्था पर भी काफी गहरा असर पड़ा है।
रूस और युक्रेन की इस जंग में रूस के 1.80 लाख और यूक्रेन के 1 लाख सैनिक की मौत हुई या घायल हुए है। यूक्रेन ने 23 फरवरी 2023 तक रूस के 1,45,850 सैनिकों के मारे जाने का दावा किया है। हालांकि, यूक्रेन ने अभी तक अपने सैनिकों की मौत की संख्या नहीं बताई है। रूस ने पिछले साल सितंबर में सैन्य मौतों का आधिकारिक आंकड़ा दिया था। उस समय रूस ने बताया था कि करीब 6 हजार सैनिकों की मौत हुई है। वहीं रूस की न्यूज वेबसाइट मॉस्को टाइम्स ने बताया है कि 17 फरवरी 2023 तक रूस के 14,709 सैनिक मारे जा चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त के ऑफिस की ओर से जारी एक आंकड़े के मुताबिक बीते एक साल में 71 हजार से अधिक नागरिकों की मौतों की पुष्टि की गई है।
दोनों देश की जंग की वजह से आम आदमी को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। संयुक्त राष्ट्र ने 21 फरवरी को इस जंग में आम नागरिकों को हुए नुकसान का आंकड़ा साझा किया था। यूएस के के अनुसार बीते एक साल में यूक्रेन में 8,006 आम नागरिकों का अपनी जान गंवानी पड़ी। वहीं इस जंग में 13 हजार से ज्यादा लोग जख्मी हो गए। इस युद्ध 487 बच्चों की भी मौत हो चुकी है और 954 बुरी तरह घायल हो चुके हैं। रिपोर्ट के अनुसार, मृतकों में 60 फीसदी पुरुष और 40 फीसदी महिलाएं हैं।
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बीते साल मार्च में रूसी सेना ने जबरदस्त बमबारी करते हुए खेरसॉन को कब्जे में कर लिया था। रूसी सेना द्वारा कब्जा किया जाने वाला यह पहला क्षेत्र बन गया। इस क्षेत्र में मर्चेंट शिप, टैंकर, कंटेनर शिप, आइसब्रेकर, आर्किट सप्लाई शिप बनाई जाती हैं। इसके बाद मई में मारियुपोल पर नियंत्रण पाने के लिए रूसी सेना ने अभियान शुरू किया। भारी बमबारी की वजह से मारियुपोल में कई नागरिकों की मौत हो गई।
यूक्रेन ने कर्च रोड और रेल ब्रिज को उड़ाकर रूस को मुंह तोड़ जवाब दिया। अक्टूबर के पहले हफ्ते में रूस को क्रीमिया प्रायद्वीप से जोड़ने वाले 19 किलोमीटर लंबे कर्च रोड और रेल ब्रिज को उड़ा दिया गया था। इस हादसे में क्रीमिया की ओर जा रही ट्रेन के सात ईंधन टैंकों में आग लग गई थी।
बीते एक साल से चले रहे युद्ध के बाद भी रूस अपने मंसूबों में सफल नहीं हो सका। रूस का लक्ष्य यूक्रेन पर पूर्ण रूप से कब्जा करना था। यूक्रेन पर हमले की शुरूआत करते वक्त ही पुतिन ने साफ शब्दों में कहा था कि उनका लक्ष्य यूक्रेन पर कब्जा करना नहीं है। रूस, यूक्रेन से नाजीवादी ताकतों को उखाड़ फेकेंगा और खुद की रक्षा करेगा। रूस का लक्ष्य डोनबास क्षेत्र से यूक्रेनी सेना को खदेड़ना और यूक्रेन में सत्ता परिवर्तन करना है। लेकिन, पश्चिमी देशों के हस्तक्षेप ने पुतिन के सपनों पर पानी फेर दिया। रूस के खिलाफ यूक्रेन की मदद के लिए पश्चिमी देश आगे आए। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, स्वीडन, लिथुआनिया, लातविया और नॉर्वे ने यूक्रेन को भारी मात्रा में हथियार दिए हैं।