NASA और ISRO के साथ मिलकर काम करने की बनाई योजना
इस दौरान भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान (Gaganyan) के लिए अंतरिक्षयात्रियों के प्रशिक्षण में नासा (NASA) की भूमिका को लेकर भी चर्चा हुई। गार्सेटी ने कहा कि, इसरो अध्यक्ष डॉ एस. सोमनाथ और उनकी टीम से मिलकर सम्मानित महसूस कर रहे हैं। नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर राडार उपग्रह (NISAR) उपग्रह की लांचिंग से लेकर मानव अंतरिक्ष उड़ान (गगनयान) और वाणिज्यिक अंतरिक्ष मिशनों को बढ़ावा देने तक भारत-अमरीका की अंतरिक्ष प्रतिबद्धता मजबूत है। उभरती प्रौद्योगिकी पर दोनों देश साझा लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
डॉकिंग प्रणाली के मानकीकरण पर जोर
इसरो ने एक बयान में कहा है कि भारत और अमरीका के बीच जारी सहयोग पर गार्सेटी और सोमनाथ के बीच चर्चा हुई। इस दौरान अमरीकी राजदूत ने एक क्वाड उपग्रह विकसित करने का प्रस्ताव पेश किया। वहीं, इसरो अध्यक्ष एस.सोमनाथ ने अमरीका-भारत शैक्षणिक संस्थानों के साथ उन्नत डिटेक्टर और पैकेजिंग प्रौद्योगिकी विकसित करने की बात कही। साथ ही अन्य देशों को अंतरिक्ष प्लेटफार्म का उपयोग करने योग्य बनाने के लिए मानव अंतरिक्ष कार्यक्रमों में डॉकिंग इंटरफेस के निर्माण और मानकीकरण जोर दिया। सोमनाथ ने चंद्रमा की कक्षा या चंद्रमा की सतह तक पहुंचने के लिए नेविगेशन प्रणाली के विकास पर भी बल दिया।
साझा लक्ष्य के साथ आगे बढ़ेंगे दोनों देश
इसके बाद हुई चर्चाओं में अंतरिक्ष विज्ञान, प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में दोनों देशों के पारस्परिक हितों और साझा लक्ष्यों पर प्रकाश डाला गया। विभिन्न संयुक्त कार्य समूहों, आर्टेमिस मिशन, निसार मिशन और चंद्रयान-3 के लेजर रिफ्लेक्टोमीटर एर्रे के जरिए दोनों अंतरिक्ष एजेंसियों के बीच जारी सहयोग को आगे बढ़ाने पर प्रतिबद्धता जताई गई। सोमनाथ ने कहा कि, ऐसा पहली बार हुआ है जब पे-लोड तकनीक या अंतरिक्ष आधारित हार्डवेयर भारत में इसरो की प्रयोगशालाओं से बाहर बनाए जा रहे हैं। इसरो अपने कार्यक्रमों में भारतीय कंपनियों के बनाए पे-लोड और उपग्रह का उपयोग बढ़ा रहा है और उन्हें वैश्विक बाजार में प्रतिस्पद्र्धा योग्य बना रहा है।
अंतरिक्ष स्टेशन के लिए गगनयान के कार्गो मॉड्यूल पर भी चर्चा
इसके अलावा पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के लिए समर्पित भारत के प्रस्तावित जी-20 उपग्रह में नासा की भागीदारी पर भी चर्चा हुई। यह एक उन्नत इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर उपग्रह होगा जो निसार मिशन को आगे बढ़ाएगा। दोनों देशों की वाणिज्यिक कंपनियों के बीच सहयोग बढ़ाने और अंतरिक्ष स्टेशन में कार्गो पहुंचाने के लिए गगनयान को एक विकल्प बनाने पर भी विचार हुआ। अमरीका राजदूत ने इसरो की उपलब्धियों और वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण में इसकी भूमिका के लिए प्रशंसा की।