हालांकि, अमरीका की ओर से भारत में बेस बनाने की खबरों पर भारत ने कोई पुष्टि या खंडन नहीं किया है। इससे साफ है कि इस रणनीतिक मुद्दे पर भारत अभी अपने पत्ते नहीं खोलना चाहता है। विदेश मंत्रालय के अनुसार, हम इन खबरों को देख, सुन और पढ़ रहे हैं। तथ्यों का पता लगाया जा रहा है। वहीं, रणनीतिक मामलों के जानकारों के अनुसार, भारत आसानी से अपने यहां बेस बनाने की अनुमति अमरीका को नहीं देगा।
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विश्लेषकों के अनुसार, भारत बदली हुई परिस्थति में कई विकल्पों पर चर्चा कर सकता है, क्योंकि आतंकवाद भारत और अमरीका दोनों के लिए महत्वपूर्ण मुद्दा है। भारत ने करीब-करीब सभी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद को लेकर अपनी बात को फोकस में बनाए रखा है। अमरीका और रूस के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों का पिछले दिनों भारत दौरा साफ संकेत है कि इस क्षेत्र की रणनीति को लेकर बहुत कुछ चल रहा है।
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अफगानिस्तान की स्थिति को लेकर भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों की मदद से जानकारियां तलाश रहे हैं। साथ ही बड़े स्तर पर नजर रखी जा रही है। अभी तक जो जानकारी सामने आ रही है उसके मुताबिक, अमरीकी सरकार दूसरे देशों में स्टेजिंग एरिया या आसान शब्दों में बेस बनाने की कोशिश में जुटा है। इससे वह अफगानिस्तान में आतंकियों और उनके ठिकानों पर हमले आसानी से कर सकता है। माना यह भी जा रहा है कि 24 सितंबर को होने वाली क्वाड समिट से पहले भी अमरीकी राष्ट्रपति जो बिडेन और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात हो सकती है।