न्यूक्लियर पॉवर प्लांट, बंदरगाह तक आए चपेट में
जिन संस्थानों पर हमला हुआ, उसकी फेहरिस्त बताती है कि चोट कितनी गहरी है। इस साइबर अटैक की चपेट में न्यूक्लियर पावर प्लांट, बंदरगाह परिवहन नेटवर्क, ईंधन वितरण सिस्टम और नगरपालिका नेटवर्क तक आ गया है। तुर्कमेनिस्तान में ईरान के राष्ट्रपति मसूद पजेश्कियान एक तरफ रूसी राष्ट्रपति पुतिन से दोस्ती बढा रहे थे, तो दूसरी तरफ इज़राइल तेहरान में साइबर अटैक को अंजाम दे रहा था।
इज़राइल ने पहले ही यह धमकी दे दी थी कि ईरान ने बैलेस्टिक मिसाइलों से हमला कर के बड़ी गलती की है। उसे इसकी कीमत चुकानी होगी।
इज़राइल-ईरान में विवाद का कारण
इज़राइल-ईरान विवाद एक जटिल और लंबा चलने वाला तनावपूर्ण संबंध है, जो मुख्यतः इन कारणों से उत्पन्न हुआ है: न्यूक्लियर कार्यक्रम: ईरान का न्यूक्लियर कार्यक्रम इजराइल के लिए एक बड़ा सुरक्षा खतरा माना जाता है। इजराइल ने बार-बार चेतावनी दी है कि ईरान यदि परमाणु हथियार विकसित करता है, तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सहयोगी समूह: ईरान के समर्थन में शिया मिलिशियाएं और अन्य सशस्त्र समूह हैं, जैसे हिज़्बुल्लाह, जो इजराइल के लिए सुरक्षा चुनौती पैदा करते हैं। साइबर युद्ध: दोनों देशों के बीच साइबर हमले एक नए मोर्चे पर विवाद को बढ़ा रहे हैं। इजराइल ने ईरान के न्यूक्लियर और सैन्य नेटवर्क पर कई साइबर हमले किए हैं।
राजनीतिक बयानबाजी: ईरान के नेता इज़राइल को “वैष्णवता” और “ज़ायोनी” के रूप में संदर्भित करते हैं, जिससे तनाव और बढ़ता है। क्षेत्रीय प्रभाव: इज़राइल और ईरान का संघर्ष मध्य पूर्व में क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को प्रभावित करता है, जिसमें अमेरिका और अन्य देश भी शामिल हैं।
बहरहाल यह विवाद न केवल दोनों देशों के बीच तनाव को बढ़ाता है, बल्कि पूरे मध्य पूर्व क्षेत्र में अस्थिरता का कारण बनता है। ये भी पढ़ें:
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