ISIS-K क्या है?
इस्लामिक स्टेट खुरासान (ISIS-K) का नाम ईरान, तुर्कमेनिस्तान और अफगानिस्तान के उस क्षेत्र के नाम पर रखा गया जिसमें इन तीनों देशों के कुछ हिस्से शामिल रहे हैं। यह संगठन 2014 के अंत में पूर्वी अफगानिस्तान क्षेत्र में तेजी से उभरा और अत्यंत क्रूरतम घटनाओं के साथ आतंकी दुनिया में अपना नाम स्थापित कर लिया।
ISIS-K को अमरीकी और तालीबानी सेना ने काफी नुकसान पहुंचाया
इस्लामिक स्टेट आतंकवादी समूह के सबसे सक्रिय क्षेत्रीय सहयोगियों में से एक आईएसआईएस-के ने 2018 के आसपास चरम पर पहुंच गया था लेकिन इसके बाद से इसकी सदस्यता में गिरावट दर्ज की गई है। तालिबान और अमेरिकी सेना ने इस संगठन को भारी नुकसान पहुंचाया है। संयुक्त राज्य अमरीका ने कहा है कि 2021 में देश से अमरीकी सैनिकों की वापसी के बाद से अफगानिस्तान में आईएसआईएस-के जैसे चरमपंथी समूहों के खिलाफ खुफिया जानकारी हासिल करने की उसकी क्षमता कम हो गई है।
ISIS-K समूह के नाम रहे हैं ये बड़े हमले
आईएसआईएस-के का अफगानिस्तान के अंदर और बाहर मस्जिदों सहित अन्य जगहों पर हमलों का इतिहास रहा है। इस साल की शुरुआत में इस समूह ने ईरान में दोहरे बम विस्फोट किए थे जिसमें लगभग 100 लोग मारे गए थे। ISIS-K ने सितंबर 2022 में काबुल में रूसी दूतावास पर एक घातक आत्मघाती बम विस्फोट की जिम्मेदारी ली थी। इस समूह ने 2021 में काबुल के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर जोरदार हमला किया जिसमें 13 अमरीकी सैनिक और कई अफगानी नागरिक मारे गए थे।
यह भी पढ़ें – मॉस्को में ISIS ने किया मुंबई जैसा आतंकी हमला, 60 की मौत और 100 से अधिक घायल,म्यूजिक कॉन्सर्ट के दौरान फायरिंग, ग्रेनेड भी फेंके