भारत ने मध्यस्थता की पेशकश की
इस बीच, भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर (S. Jaishankar) ने वाशिंगटन में एक चर्चा के दौरान इजरायल-ईरान के बढ़ते तनाव पर कहा कि वार्ता और कूटनीति से दोनों देशों के विवाद को सुलझाने के लिए भारत मध्यस्थता के लिए तैयार है। संकट के समय संवाद के आदान-प्रदान के महत्त्व को कमतर नहीं समझना चाहिए। जयशंकर ने कहा कि हम यह भूमिका निभा सकते हैं।
पूर्ण युद्ध का जोखिम
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत मध्य-पूर्व में बढ़ते संघर्ष को लेकर फिक्रमंद है, क्योंकि इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव में ‘पूर्ण युद्ध’ का रूप लेने का जोखिम है। हम चाहते हैं कि बातचीत और कूटनीति से सभी मसलों का हल खोजा जाए। किसी भी देश को सैन्य प्रतिक्रिया के समय अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का पालन करना चाहिए और नागरिकों को नुकसान पहुंचाने से बचना चाहिए।
भारत सरकार ने जारी की एडवाइजरी
विदेश मंत्रालय की तरफ से बुधवार को ईरान को लेकर जारी एडवाइजरी में कहा कि हम क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति में हालिया वृद्धि पर करीब से नजर रख रहे हैं। भारतीय नागरिकों को सलाह दी जाती है कि वे ईरान की सभी गैर-जरूरी यात्रा से बचें। वर्तमान में ईरान में रहने वालों से अनुरोध है कि वे सतर्क रहें और तेहरान में भारतीय दूतावास के संपर्क में रहें।
भारत का पेट्रोलियम निर्यात 37 फीसदी गिरा
1- अगस्त 2024 में पेट्रोलियम निर्यात सालाना आधार पर 37.56 प्रतिशत गिरकर 5.96 अरब डॉलर रहा, जो कि पिछले साल समान अवधि में 9.54 अरब डॉलर था। 2- भारत में स्वेज नहर के जरिए यूरोप, उत्तर अमरीका, उत्तर अफ्रीका और मध्य-पूर्व के अन्य देशों के साथ निर्यात करने के लिए कंपनियां लाल सागर का उपयोग करती हैं। 3- वित्त वर्ष 2023 में इस क्षेत्र के जरिए भारत ने अपने 50 प्रतिशत निर्यात किए थे, जिसकी वैल्यू करीब 18 लाख करोड़ रुपए थी।
4- पिछले वित्त वर्ष में इस क्षेत्र के जरिए होने वाले व्यापार की आयात में हिस्सेदारी 30 प्रतिशत थी, जिसकी वैल्यू 17 लाख करोड़ रुपए थी। 5- भारत की वस्तुओं के आयात और निर्यात की संयुक्त वैल्यू 94 लाख करोड़ रुपए थी। इसका 68 प्रतिशत और वॉल्यूम में 95 प्रतिशत उत्पादों की शिपिंग समुद्री मार्गों से ही की गई थी।
6- संघर्ष के चलते कंपनियां पिछले साल नवंबर से लाल सागर के अलावा वैकल्पिक मार्गों से व्यापार कर रही हैं। इससे सामान पहुंचाने में 15 से 20 दिन का समय अधिक लग रहा है।