ताइवान हमेशा ही चीनी हमले के खतरे में रहता है। चीन लोकतांत्रिक ताइवान को अपने क्षेत्र का हिस्सा मानता है और इसे दोबारा चीन में शामिल करना चाहता है। चीन के मुताबिक, अगर इसके लिए बल प्रयोग करना पड़े तो भी वह करेगा। त्साई इंग-वेन के ताइवान का राष्ट्रपति बनने के बाद चीन ने ताइवान पर पहले से कहीं अधिक दवाब बनाना शुरू कर दिया है। इसकी प्रमुख वजह यह है कि त्साई ताइवान को स्वतंत्र लोकतांत्रिक देश कहती हैं। वे चीन की ‘वन चाइना पॉलिसी’ की पक्षधर नहीं हैं।
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ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने इस संबंध में एक रिपोर्ट तैयार की है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार को जारी ताइवान के रक्षा मंत्रालय की द्विवार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन लगातार अपनी हवाई, समुद्री और अपनी सैन्य क्षमताओं को ताइवान के विरुद्ध इस्तेमाल करने के लिए मज़बूत कर रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि उन क्षमताओं में हमारे महत्वपूर्ण बंदरगाहों, हवाई अड्डों और देश के बाहर जाने वाली उड़ानों के खिलाफ नाकेबंदी, संचार की हमारी हवाई और समुद्री लाइनों को काटना भी शामिल है।
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रिपोर्ट में यह भी चेतावनी दी गई है कि चीन बैलिस्टिक और क्रूज वेरिएंट समेत अपनी मिसाइलों से ताइवान पर हमला करने में सक्षम है। चीन के आक्रामक रुख के बाद पिछले महीने भी ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि चीन के साथ उनके रिश्ते बीते चार दशक में सबसे अधिक तनाव के दौर से गुज़र रहे हैं।