आसियान देशों कोरोना के डेल्टा वर्जन वायरस के मामले बढ़ रहे हैं। यही नहीं, इन देशों मेंं वैक्सीन की दर भी कम है। इसके अलावा, कोविड को लेकर इन देशों समेत चीन की ओर से लागू किए गए सख्त नियम-कानूनों के के कारण तमाम उद्योग और बंदरगाह बंद पड़े हैं। कच्चे माल और कंटेनर की कमी भी इसमें बड़ी समस्या बनी हुई है।
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ताइवान, दक्षिण कोरिया और चीन, ये तीन ऐसे देश है जिन्होंने सेमीकंडक्टर उद्योग में दुनियाभर में करीब 87 प्रतिशत बाजार पर कब्जा हासिल किया हुआ है। इसमें ताइवान का रोल काफी बड़ा है। मगर तमाम पाबंदियों और सख्तियों की वजह से इस उद्योग पर काफी असर पड़ा है, जिससे दूसरे उद्योगों का झटका लग रहा है।
दुनियाभर में सेमीकंडक्टर उद्योग 439 अरब डॉलर की है। सेमी कंडक्टर उद्योग का सबसे बड़ा वैश्विक केंद्र ताइवान है। यहां 63 प्रतिशत फैक्ट्रियां हैं, जो इसके निर्माण में लगी हैं। इसके बाद दूसरे नंबर पर दक्षिण कोरिया है, जहां इस सेक्टर का करीब 18 प्रतिशत कारोबार होता है। चीन तीसरे नंबर पर आता है और यहां सेमी कंडक्टर चिप का कारोबार करीब 6 प्रतिशत है। बाकि का 13 प्रतिशत कारोबार दुनिया के अलग-अलग देश करते हैं।
इन तीन देशों ने कोरोना नियमों की वजह से कई पाबंदियां लागू की हैं और इसका असर दुनियाभर के साथ-साथ भारत पर भी पड़ रहा है। भारत का ऑटो उद्योग ऑटोमोटिव चिप के लिए लंबे समय से इंतजार कर रहा है। पहले इसकी वेटिंग 8 से 12 हफ्तों तक होती थी अब यह करीब चार गुना बढक़र करीब 36 से 40 हफ्तों की हो गई है।
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कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों और एशियाई देशों में कोविड प्रोटोकॉल से जुड़ी पाबंदियों की वजह से सप्लाई चेन नेटवर्क सिस्टम बिगड़ गया है। इस परेशानी का सबसे बड़ा उदाहरण मारुति सुजुकी है। भारत में हरियाणा और गुजरात में कंपनी के सभी प्लांट पर जितना उत्पादन होना था, वह चिप की कमी के कारण करीब 60 प्रतिशत तक घट गया है।
कहा यह भी जा रहा है कि सेमी कंडक्टर चिप की कमी के कारण रिलायंस जियो के सस्ते स्मार्टफोन की लॉन्चिंग पर भी असर पड़ा है और मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, कंपनी ने फिलहाल इसे टाल दिया है।