मेंगल ने कहा कि बलूचिस्तान के लोगों के लिए इस सदन में वास्तविक प्रतिनिधित्व की कमी ने मेरे जैसी आवाजों को सार्थक बदलाव लाने में असमर्थ बना दिया है। पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के स्पीकर सरदार अयाज सादिक को लिखे अपने पत्र में मेंगल ने कहा, बलूचिस्तान में मौजूदा हालात ने मुझे यह कदम उठाने के लिए मजबूर किया है। हमारे प्रांत को लगातार इस सदन में हाशिए पर रखा गया है और नजरअंदाज किया गया है। हर दिन हमें और भी ज्यादा परेशान किया जा रहा है, जिससे हमारे पास अपनी भूमिकाओं पर पुनर्विचार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।
क्या हो रहा बलूचिस्तान में?
बलूचिस्तान प्राकृतिक संसाधनों से भरा-पूरा राज्य है, साथ ही ये पाकिस्तान का सबसे बड़ा राज्य है। बावजूद इसके सियासी, आर्थिक, सांस्कृतिक तौर पर बलूचिस्तान को पाकिस्तान से तवज्जो नहीं मिलती। यही कारण है कि बूलचिस्तान लगातार पिछड़ता जा रहा है, यहां के लोग गरीब होते जा रहे हैं, जिसकी वजह से लोगों में पाकिस्तान के खिलाफ आक्रोश है। सिर्फ यही नहीं बलूचिस्तान के लोग पाकिस्तान पर हत्या और उत्पीड़न जैसे आरोप भी लगाते हैं। इसलिए बलूचिस्तान के लोग पाकिस्तान से आजादी की मांग कई सालों से उठा रहे हैं। जिसे दबाने के लिए पाकिस्तान यहां के लोगों, कार्यकर्ताओं और अलगाववादी नेताओं, लोगों को गायब करने और जान से मारने जैसी हरकतें करता है।
संयुक्त राष्ट्र भी ले चुका है संज्ञान
संयुक्त राष्ट्र ने इस पर जांच और मुकदमा चलाने का आह्वान किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति ने पाकिस्तान के राजनेताओं, सार्वजनिक अधिकारियों, मानवाधिकार प्रचारकों और जातीय और जातीय-धार्मिक समूहों के नेताओं से जुड़े जबरन गायब होने की रिपोर्टों की जांच और मुकदमा चलाएं। ये एक गंभीर मुद्दा है।