अब दीवार को गीला करने वालों की नहीं है खैर, अपने आप खुद ही हो जाओगे गीले, ऐसे होगा ये अजूबा
ऐसे में अगर टायर में साधारण रबड़ लगा दिया जाए तो वह जल्दी से घिस जाएगा और ज्यादा दिन नहीं चल पाएगा। इसलिए इसमें काला कार्बन और सल्फर मिलाया जाता है ताकि वो थोड़ा कड़ा हो सके और काफी दिन तक चल सके। खबर में दिए गए इस तर्क से आपको यह तो साबित हो गया होगा कि, टायर किसी भी साइज का क्यों न हो और किसी भी गाड़ी का ही क्यों न हो तो भी टायर के कलर में कोई फर्क नहीं होता सभी गाड़ियों के टायर एक ही रंग (काले) के होते हैं। यह कोई संयोग मात्र नहीं बल्कि टायर बनाते समय प्रयोग किए जाने वाली तकनीक के कारण होता है। टायर रंगीन कलर की बजाय काले रंग के बनाने का सीधा मतलब उसकी उम्र से होता है।