यह भी पढ़ें- 4 साल की हो चुकी हैं एकलौती ‘जीवित देवी’, आखें हैं गौ माता की तरह और शेर जैसी…
ये था सरकार का उदेश्य…जानकारी के लिए बता दें कि शासन से सफेद रंग के केरोसिन की मांग इसलिए की गई है ताकि राशन के तेल का उपयोग कसी गैर कामों में न हो सके। दरअसल, राशन उपभोक्ताओं को रियायती दर पर जो तेल दिया जाता है, वह नीले रंग है। ऐसा करने के पीछे प्रशासन की कोशिश थी कि रंग अलग-अलग होने से राशन के तेल की कालाबाजारी नहीं हो सकेगी और जो तेल जिस उदेश्य से लिया जाएगा वो उसी दिशा में खर्च किया जाएगा। बता दें कि, ऐसा करने के पीछे व्यावसायिक दर पर सफेद रंग के मिट्टी के तेल का आवंटन करने से सभी का फायदा होता है। मिली जानकारी के अनुसार, इससे तेल कंपनियों को मुनाफा मिलेगा और राज्य सरकार को भी टैक्स के रूप में कुछ मुनाफा मिलेगा। यही वजह है कि खुला कैरोसिन नीला नहीं सफेद रंग का होता है।