यहां रहने वाली कई महिलाएं गर्भवती होती हैं, इसके बावजूद वे बच्चों को जन्म देकर उनका पालन-पोषण करती हैं वो भी बिना किसी पुरुष की मदद के। इस गांव के सीमा पर कांटों की फेंसिंग की गई है। आज के आंकड़े देखे जाएं तो इस गांव में करीब 250 महिलाएं और बच्चे रह रहे हैं। इस गांव में प्राइमरी स्कूल, कल्चरल सेंटर भी हैं। यहां रहने वाली महिलाएं आमदनी के लिए सामबुरू नेशनल पार्क देखने आने वाले टूरिस्ट्स के लिए कैंपेन साइट का इंतजाम करती हैं। साथ ही यहां की पारंपरिक ज्वैलरी भी बनाकर बेचती हैं। खास बात यह है कि इस गांव को देखने आने वाले लोगों से यहां की महिलाओं द्वारा तय एंट्री फीस ली जाती है जिससे इस गांव का खर्चा चलता है।