एक कथा के अनुसार, धीरा और वीरा नाम के एक युवती और युवक हुआ करते थे। धीरा एक युवती थी जो बेहद ही सुंदर और फूलों सी कोमल थी और वीरा बहुत ही वीर पुरुष था। इन दोनों की जोड़ी एकदम मन मोह लेने वाली थी। कोई भी इन्हें साथ देख लेता तो इन्हें अपने दिल और दिमाग से निकाल नहीं पाता था। दोनों एक-दूसरे के लिए उचित थे तो उन्होंने शादी कर ली। एक दिन दोनों शिकार पर गए जहां धीरा पर एक कालिया नामक डाकू की बुरी नज़र पड़ी।
धीरा की खूबसूरती देख कालिया की नीयत खराब हो गई और उसने धीरा को अपना बनाने की सोची। शिकार करते-करते रात हो गई। धीरा और वीरा ने जंगल में ही रात बिताने का फैसला किया। दोनों एक पहाड़ी पर जाकर बैठ गए। धीरा को प्यास लग गई। वीरा उसके लिए पानी लेने के लिए पहाड़ी से उतरकर जाने लगा। मौका देखते ही कालिया ने वीरा पर अचानक से हमला कर दिया और इस हमले में वीरा घायल हो गया। घायल वीरा दर्द से चिल्लाया तो धीरा ने वहां आकर कालिया पर हमला बोलकर उसे मार डाला। धीरा का यह साहस देख वीरा के मन में न जाने क्या आया और उसने धीरा की मांग को अपने खून से भर दिया कहा जाता है कि तभी से सिंदूर लगाने की यह रीत चल पड़ी। वैसे हिंदू सभ्यता में सिंदूर को लेकर भगवान हनुमान जी कहानी ज्यादा प्रचलित लेकिन धीरा और वीरा की इस कहानी को भी कुछ लोग मानते हैं।