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अजब गजब

चमत्‍कार! यहां होती है केसर और चंदन की बारिश, खबर पढ़ने के बाद जाने से नहीं रोक पाएंगे खुद को

। मान्यता है कि, यहां हर साल बारिश तो होती है लेकिन केसर और चंदन की और लोग इस मंज़र का नज़ारा देखने यहां आते हैं।

Sep 11, 2018 / 02:14 pm

Priya Singh

mysterious muktagiri temple betul madhya pradesh

चमत्‍कार! यहां होती है केसर और चंदन की बारिश, खबर पढ़ने के बाद जाने से नहीं रोक पाएंगे खुद को

नई दिल्ली। मंदिर और चमत्कार का पुराना नाता है, लेकिन आज हम आपको जिस मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं उसके बारे में जानकार आप हैरान रह जाएंगे। यह मध्य प्रदेश तीर्थ स्थलों एक है। यह एक ऐसा जैन तीर्थ स्थल है जहां हर साल अष्‍टमी चौदस के दिन चमत्कार होते हैं। मालवा क्षेत्र स्‍थित मुक्तागिरी तीर्थ स्थल पर आज भी चंदन की वर्षा होती है। जानकर हैरान रह गए न? लेकिन यह बात एकदम सच है। ये मंदिर जिसका नाम ‘मुक्त‍ा गिरी’ है यह महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित है। मान्यता है कि, यहां हर साल बारिश तो होती है लेकिन केसर और चंदन की और लोग इस मंज़र का नज़ारा भी देखने यहां आते हैं। सतपुड़ा पर्वत की श्रृंखला में मन मोहनेवाले घने हरे-भरे वृक्षों के बीच यह क्षेत्र बसा हुआ है। जहां से साढ़े तीन करोड़ मुनिराज मोक्ष गए हैं। जहां 250 फुट की ऊंचाई से जलधारा गिरती है। इस झरने से जलप्रपात बना है। हरे-भरे उन दृश्यों एवं पहाड़ों को देखकर हर किसी का मन खुश हो जाता है। इस स्थान को मुक्तागिरी के साथ-साथ मेंढागिरी भी कहा जाता है। और इसे मेंढागिरी बुलाने के पीछे ये कहानी भी प्रचलित है जो हम आपको बताने जा रहे हैं।

mysterious <a  href=
Muktagiri temple betul madhya pradesh” src=”https://new-img.patrika.com/upload/2018/09/11/mukt_3395296-m.jpg”>बारिश के पीछे ये कथा है प्रचलित…

प्रचलित कथाओं के अनुसार, हजारों साल पहले एक बार यहां मुनि ध्यान में मग्न थे और उनके सामने ही एक मेंढक पहाड़ की चोटी से गिरकर मर गया था। मुनि से यह देखा नहीं गया कहा जाता है कि, उन्होंने उस मेंढक के कान में णमोकार मंत्र का जापकीया जिसके बाद उसे मोक्ष मिला और उसे स्वर्ग की प्राप्ति हुई। इसके बाद मेंढक ने सवर्ग पहुंचकर मुनि से मिलने की योजना बनाई। जब मृत्यु के बाद मेंढक जब मुनि के दर्शन करने आया तो उस दिन केसर और चन्दन की बरसात हुई थी। इस मंदिर में अष्टमी चौदस के दिन यहां दर्शन करना बहुत अच्छा माना जाता है इसलिए दूर-दूर से लोग यहां दर्शन करने आते हैं। कहते हैं, इसी के बाद इस पर्वत को मेढ़ागिरी पर्वत के नाम से जाना जाता है। इस मुक्त‍ा गिरी सिद्धक्षेत्र का इतिहास कुछ इस तरह है कि, मान्यता है कि, उस समय लोग शिकार के लिए पहाड़ पर जूते-चप्पल पहनकर जाते थे और जानवरों का शिकार करते थे। इसी वजह से, पवित्रता को ध्यान में रखते हुए यह पहाड़ खरीदा गया और इसपर मंदिर की स्थापना की गई। इस मंदिर में जाने के लिए दर्शनार्थियों को कम से कम 600 सीढ़ियां चढ़कर जाना पड़ता है।

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