शिकायतकर्ता बाबूलाल के अनुसार- 1978 में उन्होंने इस्माइल के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। इसके कुछ माह बाद ही उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया था और वे सुनवाई के लिए अदालत में आता था। साल 2004 से उसने सुनवाई के लिए आना भी बंद कर दिया था। इसके बाद एक वारंट जारी करके अप्रैल 2019 में आरोपी काे फिर से गिरफ्तार कर लिया गया।
बाबूलाल के अनुसार- इस्माइल के परिवार में कोई और नहीं है। वे अकेला है। उसकी आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है। यहां तक की उसके पास जमानत के लिए आवेदन करने तक के पैसे नहीं हैं। तभी न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी ने लोक अदालत में सुनवाई के लिए बुलाया। इस मामल मामले में इस्माइल को बरी कर दिया गया है।