स्थानीय निवासियों के अनुसार अश्लेश्वर मंदिर में मौजूद शिवलिंग की जड़ तक कोई नहीं पहुंच पाया है। बहुत पहले एक बार इसकी गहराई का पता लगाने की कोशिश की गई थी। इसके लिए कई दिनों तक खुदाई की गई मगर इसका छोर नहीं मिल सका। ऐसे में खुदाई काम बंद कर दिया गया। तभी से लोगों में भगवान शिव के प्रति आस्था और अधिक बढ़ गई।
यहां मौजूद शिवलिंग दिन में 3 बार अपना रंग बदलता है। सुबह के समय इसका रंग लाल होता है। दोपहर के समय इसका रंग केसरिया हो जाता है और रात होते होते ही ये श्याम रंग में बदल जाता है।
कहा जाता है कि इस मंदिर में आकर जो भी भक्त शिवलिंग के आगे मत्था टेकते हैं उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही अगर कोई अपने पसंद की शादी करना चाहता है तो यहां दर्शन करने मात्र से उसकी ये इच्छा पूरी होती है।