बताया जाता है कि मेरठ के शकिस्त गांव के रहने वाले सुभाष को अपनी भैंस से काफी लगाव था। इसे उन्होंने 32 साल पहले पाला था। वह इसे जानवर की तरह नहीं बल्कि अपने परिवार का सदस्य मानते थे, लेकिन पिछले कुछ समय से भैंस ने दूध देना बंद कर दिया था। वह बीमार भी रहती थी। चूंकि सुभाष ने उसे बचपन से ही पाला था इसलिए वह इसे ऐसी हालत में छोड़ना नहीं चाहते थे। उन्होंने भैंस के बीमार रहने पर काफी पैसे खर्च करके उसका इलाज भी कराया, लेकिन अफसोस वह उसे बचा नहीं सके ऐसे में भैंस की मौत पर सुभाष और उनके परिवार वालों ने अपने प्रिय जानवर को अंतिम विदाई देने का मन बनाया। उन्होंने अपनी भैंस के लिए तेरहवीं का आयोजन कराया।
इसके अलावा उन्होंने भैंस के लिए एक श्रद्धांजलि सभा का भी आयोजन किया। जिसमें ग्रामीणों ने फूल माला चढ़ाकर भैंस की आत्मा की शांति की प्रार्थना की। मालूम हो कि सुभाष पेशे से किसान हैं। वह अपनी भैंस को अच्छे मन से विदाई देना चाहते थे इसलिए उन्होंने ढोल नगाड़े भी बजावाएं। साथ ही हलवाई से पकवान बनवाकर पूरे गांव वालों को भोज कराया। इस अनोखे किस्म की पैरवी की चर्चा स्थानीय स्तर के अलावा सोशल मीडिया पर भी जमकर हो रही है।