— हमें कौन बताएगा जंगल में… जब घाटखेड़ी के सहरिया आदिवासी, राजकुमारी बाई, रामकली बाई, मोहनलाल, गीताबाई सहरिया आदि को बताया गया कि आज तो जनजातीय गौरव दिवस है। तुम्हारे समाज के सम्मान में प्रदेश में आज अवकाश भी है, उत्सव मन रहा है तो वे चेहरे पर बिना किसी भाव के सपाट शब्दों में बोले- होगा साब, हमें क्या पता। हमें यहां जंगल में कौन-क्या बताने आएगा। हम तो जहां थे, वहीं हैं और वहीं रहेंगे।
—— कुछ नहीं चाहिए, बस पानी दिला दो… गीताबाई सहरिया बताती हैं कि गांव में पानी की सबसे ज्यादा परेशानी है। करीब एक किमी दूर से पानी ढोकर लाते हैं। पास की बस्ती में हैंडपम्प है, लेकिन वह थोड़ी देर ही चलता है। हमें तो पीने का पानी नहीं मिल रहा, कच्चे मकानों की मरम्मत कैसे करें। गांव में स्कूल और आंगनबाड़ी की व्यवस्थाओं पर पूछने पर वे कहती हैं कि हमें कोई मतलब नहीं स्कूल और आंगनबाड़ी से, हमें तो बस पानी दिला दो और कुछ नहीं चाहिए।
— राज्यपाल को 40 कुटीर बताए थे, बता तो दो हैं कहां… घाटखेड़ी में रामकली बाई के कच्चे घर में बाहर से भीतर कमरों तक में पूरी दस बल्लियों के बल पर छप्पर टिका था। वे कहती हैं कि जब गांव में राज्यपाल जी आए थे तो उन्हें यहां 40 कुटीर बन जाने की बात कही थी। लेकिन यह बताने को अब तक कोई तैयार नहीं हैं कि इतने कुटीर हैं कहां? हमारे कच्चे और टूटे घर तो आज भी बल्लियों के सहारे टिके हैं। जरा धक्का लग जाए या तेज आंधी आ जाए तो सब बिखर जाने का डर बना रहता है।
— राज्यपाल के मंच के लिए तोड़ा गया चबूतरा भी नहीं बना 2021 में राज्यपाल के इस गांव में आगमन पर माध्यमिक शाला परिसर में मंच बनाया गया था। इसके लिए वहां बने स्कूल के पक्के चबूतरे को ताेड़ा गया था। लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी चबूतरा फिर नहीं बनाया जा सका। प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों की फेंसिंग तक नहीं है। वह भी नहीं हो सकी।
—– चावल बेंचकर आटा खरीद रहे हम भैयालाल आदिवासी और राजकुमारी आदिवासी बताते हैं कि राशन व्यवस्था तो है, लेकिन गेंहू का पता नहीं चलता। चावल ही ज्यादा देते हैं, लेकिन रोजाना दोनों समय चावल नहीं खाया जा सकता। ऐसे में चावल बेंचकर बाजार से आटा खरीदना पड़ता है जो काफी महंगा पड़ रहा है।-
——– वर्जन… घाटखेड़ी में पानी की समस्या तो है। निराकरण के लिए हमने बोर कराया था जो सफल नहीं हुुआ। इसके बाद सरपंच से बोर के लिए जगह बताने को कहा था। उन्होंने ढाई किमी दूर शेरूखेड़ी में बोर के लिए जगह बताई है। वहां बोर करा रहे हैं। बोर सफल होते ही ढाई किमी पाइप लाइन डाल घाटखेड़ी के हर घर में नल की योजना पूरी होगी। यह काम दो-तीन माह में पूरा कर लेने की उम्मीद है।
-एसके साल्वे, कार्यपालन यंत्री पीएचई विदिशा