scriptJagannath Rath Yatra: पुरी में यात्रा शुरू होते ही रुक जाते हैं रथ के पहिए, भक्तों से मिलने पहले MP के मानोरा आते हैं भगवान जगन्नाथ | jagannath Rath yatra 2024 Puri rath yatra connection with manora Madhya pradesh interesting facts importance | Patrika News
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Jagannath Rath Yatra: पुरी में यात्रा शुरू होते ही रुक जाते हैं रथ के पहिए, भक्तों से मिलने पहले MP के मानोरा आते हैं भगवान जगन्नाथ

Jagannath Rath Yatra: पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा शुरू होते ही रथ के पहिए अपने आप रुक जाते हैं, उसी समय मध्य प्रदेश के मानोरा में खड़े जगन्नाथ के रथ में शुरू हो जाता है कंपन रथ अपने आप आगे की ओर बढ़ने लगता है और चारों ओर खुशियों से भरा स्वर गूंजता है, भगवान जगन्नाथ पधारे हैं, जय जगन्नाथ, जरूर पढ़ें एमपी में भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा की ये रोचक कहानी और उसका महत्व

विदिशाJul 07, 2024 / 10:16 am

Sanjana Kumar

jagannath rath yatra
Jagannath Rath Yatra: पुरी ( puri ) के जगन्नाथ मंदिर ( jagannath rath yatra 2024 ) में जब भगवान का रथ ( rath yatra ) खींचा जा रहा होता है, तब थोड़ी देर के लिए रथ में कंपन्न होने लगता है और रथ के पहिए ठहर जाते हैं, तभी वहां के पुजारी घोषणा करते हैं कि भगवान ‘मानोरा’पधार गए हैं।
यह मानोरा गांव (manora) मध्यप्रदेश के विदिशा जिले में हैं। इस छोटे से गांव में हर साल लाखों लोग रथ यात्रा में भगवान के दर्शन करने उमड़ते हैं, इस बार हाथरस के हादसे से सबक लेते हुए जगन्नाथ रथ यात्रा को लेकर सुरक्षा और सतर्कता का पूरा ध्यान रखा गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं मध्य प्रदेश के मानोरा जिले में भगवान जगन्नाथ के साक्षात प्रकट होने की कहानी.. अगर नहीं तो जरूर पढे़ं ये खबर…

300 साल से निभा रहे परंपरा

विदिशा जिले के मानोरा में तीन सौ साल पुराना भगवान जगदीश का मंदिर है। इस प्राचीन मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के श्रीविग्रह विराजमान हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां घर-घर में सभी जाति-धर्म के लोग एकजुट होते हैं और भगवान जगन्नाथ का रथ खींचते हैं। इस तरह मिलजुलकर इस उत्सव को मनाया जाता है।
मान्यता है कि यहां रथ यात्रा वाले दिन भगवान जगन्नाथ थोड़ी देर के लिए जगन्नाथ पुरी से निकलकर खुद अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए मानोरा आते हैं। जगन्नाथ पुरी में आधिकारिक घोषणा की जाती है कि भगवान जगन्नाथ मानोरा पहुंच गए हैं। इसके बाद मनोरा में खुशियों का माहौल बन जाता है और यहां भी वैसी ही रथ यात्रा शुरू हो जाती है, जैसी पुरी में आयोजित की जाती है।

भगवान जगन्नाथ ने भक्त को दिया था वचन

मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी रामनाथ सिंह बताते हैं कि यह मंदिर भगवान के भक्त और मानोरा के तरफदार मानिकचंद और देवी पद्मावती की आस्था का प्रतीक है। तरफदार दंपती भगवान के दर्शन की आकांक्षा में दंडवत करते हुए जगन्नाथपुरी चल पड़े थे। दुर्गम रास्तों के कारण दोनों के शरीर लहुलुहान हो गए, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। इस पर भगवान स्वयं प्रकट हुए और उनको मध्य प्रदेश में स्थित उनके घर मानोरा में ही हर वर्ष दर्शन देने आने का वचन दे दिया। अपने भक्त को दिए इसी वचन को निभाने के लिए हर साल आषाढ़ सुदी दूज को रथयात्रा के दिन भगवान जगदीश मानोरा पधारते हैं और रथ में सवार होकर भक्तों को दर्शन देने निकल जाते हैं, उनका हाल जानते हैं।

ऐसे मिलते हैं भगवान के मानोरा पहुंचने के संकेत

मंदिर के मुख्य पुजारी भगवती दास बताते हैं कि रथयात्रा से एक दिन पहले शाम को जब आरती के बाद भोग लगाकर भगवान को शयन कराया जाता है, तब मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं। खास बात ये कि दूसरे दिन सुबह जब मंदिर पहुंचते हैं तो पट अपने आप थोड़े से खुले मिलते हैं। जब रथ पर भगवान को सवार कराया जाता है तो अपने आप उसमें कंपन्न होता है या फिर वह खुद ही आगे बढ़ना शुरू हो जाता है। इन गतिविधियों को भगवान जगन्नाथ के मानोरा आगमन का प्रतीक माना जाता है।
Rath yatra
वहीं मुख्य पुजारी भगवती दास के मुताबिक उड़ीसा की पुरी में भी पंडा रथयात्रा के दौरान जब वहां भगवान का रथ ठिठककर रुकता है तो घोषणा की जाती है कि भगवान मानोरा पधार गए हैं।

मीठे भात का लगाया जाता है भोग

रथयात्रा (rath yatra) वाले दिन भगवान को पूरी पवित्रता के साथ बनाए गए मीठे भात का भोग लगाया जाता है। कई श्रद्धालु अपनी मन्नत पूरी होने पर भी भगवान को ये भोग अर्पित करते हैं। इस भोग को भक्त‘अटका’कहते हैं। यह मिट्टी की हंडियों में मुख्य पुजारी खुद तैयार करते हैं। जिसे भगवान को अर्पित करने के बाद भक्तों में बांटा जाता है। इसीलिए कहा जाता है कि जगन्नाथ का भात, जगत पसारे हाथ।

तन की सुधि नहीं, मन जगदीश के हवाले

इस मंदिर में हजारों श्रद्धालु मीलों दूर से दण्डवत करते हुए मानोरा पहुंचते हैं। रास्ते चाहे पथरीले हो, कटीले हो या कीचड़ से भरे हो, भक्तों की आस्था पीछे नहीं हटती है। दो-दो दिन पहले से ही लोग दंडवत करते हुए मानोरा पहुंचने लगते हैं। रास्ते भर जय जगदीश हरे की टेर लगाते चलते हैं।

तो विदिशा जरूर आइए

चारों धाम में से एक है उड़ीसा की जगन्नाथपुरी। आषाढ़ सुदी दूज पर यहां रथयात्रा और रथ में आरूढ़ भगवान जगदीश, बलभद्र और देवी सुभद्रा के दर्शन बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। लेकिन, पुरी में ये दुर्लभ दर्शन देखने सभी नहीं जा पाते। जो श्रद्धालु पुरी तक नहीं जा पाते वे विदिशा के मानोरा आकर जगन्नाथपुरी की रथ यात्रा का पुण्य जरूर पाते हैं।

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