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रेल कारखाना स्थापित होते ही विश्व में छा जाएगा विदिशा

विदिशा. गेहूंखेड़ी में प्रस्तावित रेल कारखाने का काम भले ही अभी जमीनी स्तर पर कुछ नहीं दिख रहा हो, लेकिन रेलवे के आला अधिकारियों का दावा है कि इसके लिए देश में चार अलग-अलग स्थानों पर चल रहे काम से वर्ष 2018 में ही कारखाना शुरू हो जाएगा और यहां हाई स्पीड डीजल इंजन के लिए ट्रेक्शन अल्टरनेटर बनने लगेंगे।

विदिशाMar 21, 2016 / 11:25 pm

Anwar Khan

vidisha

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विदिशा. गेहूंखेड़ी में प्रस्तावित रेल कारखाने का काम भले ही अभी जमीनी स्तर पर कुछ नहीं दिख रहा हो, लेकिन रेलवे के आला अधिकारियों का दावा है कि इसके लिए देश में चार अलग-अलग स्थानों पर चल रहे काम से वर्ष 2018 में ही कारखाना शुरू हो जाएगा और यहां हाई स्पीड डीजल इंजन के लिए ट्रेक्शन अल्टरनेटर बनने लगेंगे। अब तक भारत ये अल्टरनेटर विदेशों से खरीदता है, लेकिन विदिशा में इसके निर्माण के बाद हम भी विदेशों में अपने अल्टरनेटर बेचने की स्थिति में होंगे और इससे विदिशा विश्व मानचित्र पर आ जाएगा। यह सब काम रिकार्ड समय में और मेक इन इंडिया के तहत हो रहा है।
यह बात पश्चिम मध्य रेलवे जबलपुर से आए मुख्य यांत्रिकी अभियंता (सीएमई) राजेश अग्रवाल ने कलेक्टर एमबी ओझा से चर्चा के बाद कारखाना स्थल का मुआयना कर पत्रकारों से कही।
60 से 95 करोड़ हो गई अब लागत
इस कारखाने की प्रारंभिक लागत 60 करोड़ रुपए थी, लेकिन जब रेल अधिकारियों ने इसकी विस्तृत रिपोर्ट बनाने और अन्य सुविधाओं का इजाफा किया तो उसकी लागत 95 करोड़ रुपए हो गई। सीएमई अग्रवाल का कहना है कि रेलवे बोर्ड ने पूरे 95 करोड़ स्वीकृत कर दिए हैं, जिसमें से 60 करोड़ रुपया हमें मिल भी गया है। चालू वर्ष में 15 करोड़ रुपए का काम होगा। दूसरे वर्ष में करीब 60 करोड़ और तीसरे वर्ष में शेष 20 करोड़ रुपए का काम होगा।
पहाड़ तोडऩे खर्च होंगे चार करोड़
कारखाने का निर्माण कर रही कंपनी राइट्स लिमिटेड के अधिकारियों ने बताया कि कारखाने की साइट काफी जटिल, पथरीली और पहाड़ पर है। पहाड़ काटकर जगह समतल करने में करीब 4-5 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इससे निकले पत्थर का उपयोग निर्माण कार्य में हो जाएगा। पहाड़ काटने का काम करीब 60 फीसदी हो चुका है।
राइट्स के हाथों में काम
रेल कारखाने के निर्माण का काम राइट्स लिमिटेड को सौंपा गया है। राइट्स के ईडी प्रदीप गुप्ता और समूह महाप्रबंधक अनिज विज भी विदिशा आए। उन्होंने बताया कि इस कारखाने का काम रिकार्ड समय में पूरा होगा। यह हम सबके लिए एक उदाहरण है। उच्च स्तर पर निरंतर प्लानिंग और अलग-अलग चरणों का काम एक साथ चलने के कारण ही बेहतर और बेहद कम समय में काम पूरा होगा। उन्होंने बताया कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी इस काम की निरंतर समीक्षा कर रही हैं।
रेलवे ने मांगी मजबूत सड़क
रेलवे और राइट्स के अधिकारियों ने कलेक्टर से शहर से कारखाने तक अच्छी सड़क की मांग की है। राइट्स के समूह महाप्रबंधक अनिल विज ने कलेक्टर से कहा कि हमें यह सड़क टू लेन और भारी वजन सहने लायक चाहिए, क्योंकि मई-जून से कारखाने का भारी सामान यहां आने लगेगा। इसके लिए सड़क का चौड़ा और मजबूत होना बहुत जरूरी है। इस पर कलेक्टर एमबी ओझा ने लोनिवि कार्यपालन यंत्री को इसके लिए निर्देशित किया। लोनिवि ने जून तक दो सड़कें बनाने का वादा किया है।
ऐसा पहली बार हुआ है : सीएमई राजेश अग्रवाल
पश्चिम मध्य रेलवे के सीईएम राजेश अग्रवाल ने कहा कि ऐसा देश में शायद पहली बार हो रहा है कि शिलान्यास के साल में ही पैसा स्वीकृत हो गया, बढ़ी हुई राशि भी रेलवे बोर्ड ने स्वीकृत कर दी, और हमने भी चाहा कि इसी वित्त वर्ष में सारे टेंडर हो जाएं तो वह भी करा लिया और काम भी शुरू हो गया। अब लक्ष्य 2019 से भी पहले यह काम अच्छी गुणवत्ता का कर उत्पादन शुरू करना है। इसके लिए हमने 2018 को तय किया है। यह बहुत ही उच्च स्तर का काम है, जिसके लिए इंजीनियर्स की टीम रात-दिन एक कर विभिन्न स्तरों पर काम में जुटी है। इस कारखाने के निर्माण से यहां हाई प्रोफाइल विकास होगा, तरक्की के कई रास्ते भी खुलेंगे। हमारा लक्ष्य पहले 100 अल्टरनेटर हर साल बनाने और 600 ट्रेक्शन मोटर्स की रिपेयरिंग का है। इससे अपने देश की मांग पूरी करने के बाद हम विदेशों खासकर यूरोपीय देशों को भी ये अल्टरनेटर बेच सकेंगे। अभी एक अल्टरनेटर विदेश से करीब डेढ़ करोड़ रुपए का खरीदते हैं, जबकि विदिशा में बनने वाला अल्टरनेटर करीब आधी राशि में पड़ेगा।

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