प्रशासन ने यूं तो जानकी कुण्ड पर ही देवी विसर्जन की व्यवस्था की थी, यहां कई प्रतिमाओं का विसर्जन हुआ भी, लेकिन अधिकांश प्रतिमाएं बेतवा पुल से होते हुए नदी में विसर्जन के लिए गईं। दोनों ही जगह क्रेन के इंतजाम किए गए थे। पुलिस, होमगार्ड, प्रशासन और नपा की टीम विसर्जन के लिए तैनात रही। इन दोनों स्थानों के अलावा रंगई घाट पर भी देवी का विसर्जन किया गया।
दुर्गा विसर्जन चल समारोह के दौरान अस्पताल रोड से लेकर माधवगंज, निकासा रोड, तिलक चौक, बड़ा बाजार, लोहा बाजार, बजरिया, तोपपुरा, रामलीला तिराहा सहित नदी रोड तक का पूरा मार्ग जाग रहाथा। आधी रात को भी दोपहर को रोजमर्रा रहने वाली भीड़ से भी कई गुना ज्यादा भीड़, चाय, नाश्ते की दुकानें खूब चलती हुईं दिख रहीं थीं। आधी रात को भी दिन जैसा माहौल था।
ह र बार हाथी वाली हवेली से निकले वाला राजपूत सरदारों का चल समारोह इस बार राजपूत धर्मशाला से निकला। धर्मशाला में पहले शस्त्र पूजन किया गया और फिर चल समारोह शुरू हुआ, जिसमें राजपूत सरदार अपने पारम्परिक वेशभूषा में शामिल हुए। लेकिन चल समारोह में इस बार राजा भगवान सिंह घोड़े अथवा बग्गी में दिखाई नहीं दिए। स्वास्थ्य कारणों से वे सीधे जैन कॉलेज परिसर पहुंचे थे, जहां उन्होंने शमी पूजन किया। शमी पूजन के बाद राजपूतों ने एक दूसरे को बधाई दी।
माधवगंज से झिलमिलाती दुर्गा झांकियों का चल समारोह शुरू हुआ। अस्पताल रोड पर दुर्गा प्रतिमाएं लाइन में लगकर आगे बढ़ रहीं थीं, माधवगंज पर बने सनातनश्री हिन्दू उत्सव समिति के मंच से उन्हें टोकन दिया जा रहा था, जिसके आधार पर वे विधिवत चल समारोह में शामिल हो रहींथीं। बड़ी दुर्गा प्रतिमाओं को निकालने और आगे बढ़ाने में समय लग रहा था और मंच से उन्हें लगातार आगे बढ़ाते रहने की उद्घोषणा हो रही थी। प्रतिमाओं के आगे-आगे युवाओं की टोलियां ढोल-नगाड़ों पर झूमती नाचती चल रहीं थीं। प्रतिमाओं के साथ कुछ उत्सव समितियों की आकर्षक झांकियां भी चल रहीं थीं। झांकियों की विद्युत सज्जा हजारों की संख्या में मौजूद दर्शकों को खूब भा रही थी। माधवगंज से कोतवाली, तिलक चौक, बड़ा बाजार, लोहा बाजार, बजरिया तक दुर्गा झांकियों की लम्बी कतार और हजारों लोग सड़कों पर थे। रात भर यही माहौल बना रहा।
कुरवाई. दुर्गा प्रतिमा चल समारोह के दौरान यहां रात को विवाद हो गया। खारी बावड़ी के पास वार्डनंबर 4 में पुलिस ने समय खत्म होने की बात कहते हुए एक दुर्गा प्रतिमा को जल्दी आगे बढ़ाने और डीजे नहीं बजाने को कहा। बाद में डीजे के तार निकाल दिए जाने से उत्सव समिति के लोग भड़क गए। बात विधायक हरिसिंह सप्रे तक पहुंची और वे वहीं धरने पर बैठ गए। करीब आधा घंटे बाद एसडीओपी ने आकर विधायक को समझाया और दुर्गा प्रतिमा आगे बढ़ाईजा सकी।