scriptWorld Water Day: वाराणसी में महीने भर बाद फिर काला पड़ा मां गंगा का जल, जानें क्या कहते हैं विशेषज्ञ… | World Water Day Ganga water again blackened in Varanasi after one month | Patrika News
वाराणसी

World Water Day: वाराणसी में महीने भर बाद फिर काला पड़ा मां गंगा का जल, जानें क्या कहते हैं विशेषज्ञ…

World Water Day: पूरी दुनिया एक तरफ जल दिवस मना रही है। जल संरक्षण की बातें भी हो रही हैं। लेकिन काशी में मां गंगा का बुरा हाल है। पहले गंगा कार्य योजना फिर नमामि गंगे जैसे बड़े-बड़े प्रोजेक्ट लांच होने और अरबों रुपये खर्च होने के बाद भी गंगा का जल बार-बार इस तरह से काला पड़ रहा है। जानते हैं क्या कहते हैं नदी व प्रदूषण विशेषज्ञ…
 

वाराणसीMar 22, 2022 / 06:03 pm

Ajay Chaturvedi

मां गंगा का जल फिर काला पड़ा

मां गंगा का जल फिर काला पड़ा

वाराणसी. World Water Day: एक ओर जहां जल संरक्षण की बात पूरी दुनिया कर रही है, वहीं जो संसाधन हैं हमारे पास उसे ही स्वच्छ व प्रदूषण मुक्त नहीं कर पा रहे हैं। मां गंगा की बात करें तो पहले गंगा कार्य योजना लागू हुई। उसमें करोड़ों-अरबो रुपये गंगा जल में बह गए। फिर पिछले सात साल से नमामि गंगे परियोजना चल रही है। लेकिन गंगा का जल है कि हर कुछ दिनों पर काला हो जा रहा है। अभी 12 फरवरी के आसपास भी गंगा जल काला पड़ा था। उसका परीक्षण भी कराया गया। लेकिन कोई हल नहीं निकला। अब फिर से अस्सी-नगवां के पास गंगा का जल काला पड़ गया है।
गंगा में गिरता सीवेज (17 मार्च 2022 की फोटो)
बार-बार मां गंगा का जल काला पड़ने से हैरान हैं काशीवासी

मां गंगा का जल बार-बार काला पड़ने से काशीवासी हैरान हैं। लोगों को ये समझ नहीं आ रहा कि जब प्रदूषण नियंत्रण विभाग है जो नियमित तौर पर गंगा जल का परीक्षण करता रहता है। शहर के सीवेज को साफ करने के लिए लगातार सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किए जा रहे हैं बावजूद इसके गंगा में सीवेज का गिरना जारी है।
गंगा में गिरता सीवेज (17 मार्च 2022 की फोटो)
गंगा गंगा में गिर रहा 5 करोड़ लीटर सीवेज, जल पड़ जा रहा काला

बताया जा रहा है कि गंगा में नियमित तौर पर पांच करोड़ लीटर सीवेज गिर रहा है जिसके चलते गंगा जल काला पड़ रहा है। जानकार बताते हैं कि गंगा में रोजाना 50-70 एमएलडी यानी 5-7 करोड़ लीटर सीवेज का पानी भी गिर रहा है। इसके चलते गंगा जल का रंग काला पड़ रहा है। ये हाल तब है जब जनवरी 2021 में ये कहा गया था कि गंगा निर्मलीकरण के तहत बड़ी राहत मिलने जा रही है। नगवां व सामनेघाट स्थित नाला समेत रामनगर के चार नाले बंद हो जाएंगे। ऐसा इसलिए कि नमामि गंगे योजना के तहत प्रस्तावित निर्माणाधीन रमना व रामनगर एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) फरवरी माह तक कार्य करने लगेगा। इससे छह से अधिक नाले बंद कर दोनों एसटीपी से जोड़ दिए जाएंगे। लेकिन गंगा में सीवेज का गिरना जारी है।
https://twitter.com/hashtag/WorldWaterDay2022?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw
विश्व जल दिवस 2022 पर संकट मोचन फाउंडेशन के चेयरमैन ने काले गंगा जल की फोटो शेयर की ट्विटर पर

आज जब पूरी दुनिया जल दिवस 2022 मना रही है तो पीढियों से गंगा की सेवा करने और उन्हें अविरल व निर्मल बनाने के लिए जुटे संकट मोचन फाउंडेशन के चेयरमैन ने ट्विटर हैंडल पर मां गंगा के काले जल को दर्शाया है। इस ट्वीट को काफी लोगों ने लाइक व रीट्वीट किया है। बता दें कि प्रो विश्वंभर नाथ मिश्र से पूर्व फाउंडेशन के संस्थापक चेयर पर्सन प्रो बीरभद्र मिश्र ने गंगा स्वच्छता के लिए एक प्रोजेक्ट भी तैयार किया था जो आज भी केंद्र सरकार के विचाराधीन है।
सीवेज गिरना बंद नहीं होगा तो यही हाल रहेगा गंगा जी काः प्रो मिश्र

संकटमोचन फाउंडेशन के चेयरमैन प्रो विश्वंभर नाथ मिश्र ने पत्रिका को बताया कि ये जो फोटो ट्विटर पर डाली है वो अस्सी-नगवां के बीच की है और कल शाम यानी 21 मार्च को ही ये फोटो खींची गई थी। वो कहते हैं मां गंगा को निर्मल व अविरल बनाने का काम जब तक पूरी निष्पक्षता के साथ नहीं होगा। गंगा जल में कोई सुधार नहीं होने वाला। जब तक गंगा में सीवेज गिरता रहेगा गंगा कभी प्रदूषण मुक्त नहीं हो पाएंगी।
गंगा के काले जल का कराएंगे परीक्षणः क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी

इधर जब क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी कालिका सिंह से पत्रिका ने इस संबंध में बात की तो पहले तो उन्होंने इसके बारे में अनभिक्षता जताई फिर कहा कि ऐसा तो होना नहीं चाहिए। अगर ऐसा है तो गंगा जल का परीक्षण कर जल के काला पड़ने के कारण का पता लगाया जाएगा। वैसे उन्होंने कहा कि पानी के स्थिर होने पर उसका रंग रात में या शाम को काला तथा दिन में हरा दिखता है। इसकी जांच कराई जाएगी।
फरवरी 2022 में काला पड़ा था गंगा जल

बता दें कि पिछले महीने ही 11-12 फरवरी के आसपास गंगा जल काला हुआ था। तब मणिकर्णिका घाट, सिंधिया घाट, बालाजी घाट, रामघाट, गंगा महल घाट के किनारे गंगा जल काला देखा गया था। तब गंगा महल घाट के पास गंगा जल सबसे अधिक काला था। मणिकर्णिका घाट के पास बसे कुछ लोगों का कहना है रहा कि श्री काशी विश्वनाथ धाम निर्माण के लिए ललिता घाट के किनारे गंगा में घुसकर प्लेटफार्म बनाया गया है। इससे किनारे की ओर बहाव कम हुआ है जिससे मणिकर्णिका घाट से निकलने वाली राख व अन्य गंदगी बह नहीं पा रही हैं। वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि शहरी सीवेज गंगा में गिरता है। इनमें से बहुत से नाले अब भी बंद नहीं हुए हैं, जिसके चलते गंदगी गंगा में जा रही है और बहाव कम होने से किनारे काला पानी नजर आ रहा है।

Hindi News / Varanasi / World Water Day: वाराणसी में महीने भर बाद फिर काला पड़ा मां गंगा का जल, जानें क्या कहते हैं विशेषज्ञ…

ट्रेंडिंग वीडियो